बच्चों ने ग्रुप बनाकर तीर्थ यात्रियों से कि “नो प्लास्टिक” की अपील

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ऋषिकेश, आज पुरा विश्व अंतराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस मना रहा है और ‘नो प्लास्टिक़’ की मुहीम को लेकर आवाज़ उठा रहा है, जिससे नदियाँ व समुद्र के पानी के स्रोतों को बचाया जा सके। गंगा को स्वछ व अविरल रखने की मुहीम में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कड़ा कदम उठाये थे अौर गंगा तटों को प्लास्टिक-मुक्त करने के लिए कड़े कदम उठाये थे जिस पर कोई अमल नहीं कर रहा है।

खुले आम गंगा तटों पर प्लास्टिक का प्रयोग हो रहा है,  देव-भूमि के प्रवेश द्वार ऋषिकेश, जो अपनी सुंदरता, मंदिरो और योग के लिए जाना जाता है, यही कारण है यहाँ साल भर धार्मिक यात्रा और उत्सव में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में तीर्थ यात्री और पर्यटक आते है, जिसके चलते इन सबका बोझ मैली गंगा को उठाना पड़ता है।  लेकिन अपने ही घर में मैली हो रही गंगा को स्वछ निर्मल और अविरल बनाने के लिए कई संघठन और सरकार पोषित योजनाए तो चल रही है, ।लेकिन गंगा की स्तिति जस की तस है। ऐसे में ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट में कुछ बच्चे यात्रियों से अपील कर रहे है ‘नो प्लास्टिक’ की जिस से गंगा को प्लास्टिक मुक्त रखा जा सके।

गर्मियों की छुट्टी में आज विश्व पर्यावरण दिवस पर सभी बच्चों ने इकट्ठा होकर सानिया सचदेवा के लीडरशिप के अंङर सुबह 8:00 बजे से त्रिवेणी घाट पर आए हुए तीर्थ यात्रियों को समझाकर जागरूक किया की गंगा में प्लास्टिक का उपयोग ना करें। पॉलिथीन की जगह कपड़े के थैले यूज करें और पानी की बोतलों को डस्टबिन में डालें। श्रेया और निश्चय का कहना है कि, “अगर हम इस तरह से प्रयास करते रहे तो आने वाले दिनों में लोगों में जागरूकता होगी और हमारी गंगा साफ और सुंदर हो जाएगी।”

गौरतलब है नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कड़ा कदम उठाते हुए ऋषिकेश -हरिद्वार में 1 फ़रवरी 2016 से पोलिथिन और प्लास्टिक के प्रयोग पर पूर्णता प्रतिबंध लगा दिया है, साथ ही इसका प्रयोग करने वालो के खिलाफ सख्त कारवाही ओर 5000 रुपये के जुर्माने की बात कही है, मगर तीर्थनगरी में यह पाबंदी बेसर दिख रही है। पहले की तरह ही खुलेआम प्लास्टिक और पॉलीथिन का इस्तमाल किया जा रहा है।गंगा के तट पर  प्लास्टिक केन, बोतल और फेरी वाले लगातार नियमो की धज्जियां उड़ा रहे है जिस पर ना तो सरकार और ना ही प्रसाशन धयान दे रहा है जिस के चलते गंगा  के आसपास प्लास्टिक कूड़े का ढेर बढ़ता जा रहा है जिससे हम लोगों को परेशानियां हो रही हैं वो चाहते हैं सरकार इस पर जल्द से जल्द कदम उठाएं

यू तो गंगा सदियों से पानी का सबसे बड़ा स्रोत के रूप में से निकलकर बंगाल की खाड़ी तक सारे इलाकों को सिचित करते हुए आगे बढ़ती है लेकिन बढ़ते प्रदूषण ने इसके अस्तित्व पर एक ही सवाल लगाना शुरु कर दिया है। अगर जल्दी नहीं चेते तो आने वाले दिनों में गंगा किस्से और कहानियों में ही रह जाएगी।