राज्य सरकार का बजट सत्र गैरसैंण में करवाने के फैसले के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बजट सत्र के ज़रिये लोगों के बीच लोकप्रियता पाने का एक और दांव चला है। अब सरकार राज्य के बजट के लिए आपके सुझाव लेने के लिए आपके पास आ रही है। यह पहली बार है जब उत्तराखंड में बजट से पहले किसी मुख्यमंत्री ने इस तरह की पहल की है। इसके लिए राज्य के छह स्थानों पर खुद मुख्यमंत्री विभिन्न वर्गों के लोगों के बीच जाकर उनसे बजट के लिए सुझाव लेंगे।
सरकार ने पहले बजट सत्र भराड़ीसैंण गैरसैंण में करने का फैसला कर और अब बजट पर लोगों की राय लेने के साथ राज्य आंदोलनकारियों और गैरसैंण में राजधानी के मुद्दे को अपनी तरफ करने की कोशिश की है। ये बजट सत्र 20 मार्च से शुरू होगा।
मुख्यमंत्री का कहना है कि “एक स्वस्थ और समावेशी बजट वो होता है जिसमें समाज के सभी वर्गों के सुझाव को शामिल किया जाए। इसलिए यह बेहद जरूरी है समाज के सभी वर्गों तक पहुंच कर उनके सुझाव लिए जाएं।” इसके लिए लोगों को अपने सुझाव देने के लिए कहीं नहीं जाना होगा बल्कि मुख्यमंत्री जी खुद लोगों के पास जाकर उनके सुझाव और राय लेंगे।
इस कार्यक्रम को ‘आपका बजट आपकी राय’ नाम दिया गया है। बजट से पहले 6 चरणों में अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े लोगों के बीच जाकर मुख्यमंत्री अलग-अलग विषयों पर बजट के लिए लोगों के सुझाव मांगेंगे। उनमें से महत्वपूर्ण सुझावों को राज्य के बजट में शामिल किया जाएगा। इस कड़ी में
- सबसे पहले 13 फरवरी को यमुनोत्री में किसानों के बीच जाकर मुख्यमंत्री उनकी राय लेंगे।
- इसके बाद पिथौरागढ़ में बजट के लिए महिलाओं के सुझाव लेंगे।
- अगले चरण में हरिद्वार में फिर से किसानों के बीच होंगे और उनकी बात सुनेंगे।
- हल्द्वानी में पूर्व सैनिकों के बीच बजट के लिए उनके सुझाव लेंगे।
- अंतिम दो चरणों में देहरादून में मुख्यमंत्री जी पहले एंटरप्रेन्योर्स से और फिर युवाओं से संवाद कर बजट के लिए उनके सुझाव सुनेंगे।
वहीं बीजेपी के इस पहल पर कांग्रेस ने सरकार पर तंज कसा है।कांग्रेसी नेता किशोर उपाध्याय ने कहा कि ”मेरे हिसाब से इस पहल की शुरुआत राज्य में हरीश रावत ने की थी और उनसे पहले अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में की थी।पब्लिक भागीदारी एक अच्छी बात हे लेकिन सरकार को लोगों को भ्रमित नहीं करना चाहिए।पहले सरकार यह बताए कि बजट कितने का है क्या है,फिर जनता से राय मांगने की बात पर अमल किया जा सकता है।”
राज्य सरकार की ये पहल तो अच्छी है और कहीं न कहीं इसमें पीएम मोदी के मार्केटिंग अंदाज़ की झलक भी आती है। बहरहाल ये वाकई बजट बनाने में लोगों की रायशुमारी करने की कोशिश है या एक मार्केटिंग स्टंट ये तो इस बात पर निर्भर करेगा कि लोगों के द्वारा बताये गये कितने सुझावों को बजट में जगह मिस पाती है।