सत्ता में आने के कुछ ही महीनों में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को अपने पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से राहत मिलती दिख रही है। शुक्रवार को विधानसभा में सरकार ने ढेंचा बीज घोटाले में जांच के लिये बनी त्रिपाठी कमीश्न की रिपोर्ट को सदन में पेश कर दिया।इस रिपोर्ट में वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को क्लीन चिट दी गई है।
गौरतलब है कि त्रिपाठी कमीश्न को 2013 में त्तकालीन कांग्रेस सरकार ने गठित किया था। 2010 में ढेंचा बीज की खरीद में धांधली की जांच करने के लिये इस कमीशन का घठन किया गया था। ये कथित धोटाला बीजेपी की सरकार में हुआ था और उस समय त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में कृषि मंत्री थे। इस धोटाले में नाम उछलने के चलते मुख्यमंत्री पद के लिये नाम आने के बाद कांग्रेस ने रावत का पुर्रजोर विरोध किया था।
हांलाकि जिस तरह से ये रिपोर्ट सदन में पेश की गई उससे विपक्ष सरकार की नियत पर सावल खड़े कर रहा है। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रयहेश का कहना है कि “जिस तरह आनन फानन में बिना विपक्षी दल को बताये सदन के कमामकाज में परिवर्तन कर के ये रिपोर्ट पेश की गई है उससे सरकार की नीयत पर शक होना लाजमी है”
वहीं सरकार का पक्ष रखते हुए मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि ” ये रिपोर्ट 2014 में तैयार हो गई थी लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे सदन में पेश नही किया। इससे साफ है कि सरकार की नियत में खोट था क्योंकि वो जानती थी कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को इस रिपोर्ट में क्लीन चिट मिल गई है।”
इस रिपोर्ट के अलावा ट्रांस्फर एक्ट बिल और लोकायुक्त बिल को भी आनन फानन में सदन में पेश कर दिया गया।