जायका की योजनाओं से वन सरंक्षण, भू-क्षरण में मिलेगी मदद : सीएम

0
1214

देहरादून,  प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि जायका की योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन द्वारा वन सरंक्षण, भू-क्षरण रोकने तथा मिटटी की गुणवत्ता में सुधार व मिट्टी में खनिजो की कमी को पूरा करने में मदद मिलेगी । सरकार राज्य में वन पंचायमों को मजबूत करने पर पूरा ध्यान केन्द्रित कर रही है।

मसूरी के एक स्थानीय होटल में 10 वीं जापान इंटरनेशनल कोआॅपरेशन ऐसोसिएशन (जायका) दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत शुभारंभ किया। इस मौके पर अखरोट की बागवानी एवं अवनत वनों के सुधारीकरण पर पुस्तिकाओं का विमोचन भी किया गया।

कार्यशाला को संबोधित करते हुए सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने देश के तेरह राज्यों के प्रतिनिधि और जापान का आठ सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल सहित केन्द्रीय टीम को बधाई देते हुए कहा कि जायका प्रोजेक्ट में 8 सौ करोड़ रुपये उत्तराखंड को मिले हैं। इससे उत्तराखंड के जंगल, भू स्खलन प्रभावित क्षेत्र का ट्रीटमेंट किया जाएगा। कोशिश की जाएगी कि महिलाओं की आमदनी बढ़ाई जाए। इसके साथ ही वन पंचायतों को मजबूत किया जाएगा। राज्य में वनाग्नि की समस्या को रोकने के लिए जागरुकता व सामाजिक सहभागिता को बढ़ाना होगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि जंगलों के संरक्षण व संर्वद्धन में कार्यशाला व प्रशिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका है। कार्यशाला में साझा किए गए अनुभव व ज्ञान से विभागीय प्रगति के लिए काम किए जाते हैं । कार्यशाला के माध्यम से जंगलों की गतिविधियों के संचालन व संरक्षण में सहायता मिलती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में लगभग 11000 वन पंचायतें हैं । जायका द्वारा भी वन पंचायतों को वित्तीय सहायता दी जाती है। राज्य में भूमि क्षरण की समस्या अधिक है क्योंकि राज्य का हिमालयी क्षेत्र दलदली है। जापान इंटरनेशनल कोआॅपरेशन ऐसोसिएशन (जायका) द्वारा दी जा रही तकनीकी सहयोग से भू क्षरण रोकने में सहायता मिलेगी।

सीएम ने वनाग्नि को रोकने के लिए छात्र-छात्राओं में वनों के प्रति अपनत्व व दायित्व बोध पैदा करना होगा। सिविक सेन्स की तरह ही बच्चों में स्कूली जीवन से ही जंगलों के प्रति उत्तरदायित्व की भावना विकसित करनी होगी। वन अधिकारियों को स्कूलों में जाकर बच्चों से वनों के महत्व व सरंक्षण पर चर्चा करनी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा देहरादून में रिस्पना व अल्मोड़ा में कोसी नदी के पुनर्जीवीकरण हेतु अभियान शुरू हो गया है। रिस्पना के पुनर्जीवीकरण के लिए एक दिन में उद्गम से संगमत क वृक्षारोपण और साफ-सफाई का लक्ष्य तय किया है। इसमें व्यापक जन भागीदारी सुनिश्चत की जाएगी। यह अभियान पूरे देश के लिए संदेश देने का काम करेगा।

वन मंत्री डॉक्टर हरक सिंह रावत ने जापान सरकार का आभार जताते हुए कहा कि जायका प्रोजेक्ट के माध्यम से लोगों की आमदारी कैसे बढ़े इस दिशा में काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र जैसे सिरोबगड़, उत्तरकाशी के वरुणाव्रत पर्वत के ट्रीटमेंट में जापान की तकनीकी सहायता ली जाएगी। उत्तराखण्ड में वनों के सरंक्षण में ग्रामीणों की महत्वपूर्ण भूमिका है। वनों के प्रति लगाव हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है।

विधायक गणेश जोशी ने कहा कि जायका के माध्यम से सरकार ने हजारों लोगों को रोज़गार देने का काम किया है। इस अवसर पर विधायक मुन्ना सिंह चैहान, अपर मुख्य सचिव रणवीर सिंह, महानिदेशक वन मंत्रालय सिद्वांत दास, जापान इंटरनेशनल कोआॅपरेशन ऐसोसिएशन (जायका) के प्रतिनिधि पोरी ईमाची भी उपस्थित थे।