पौष पूर्णिमा के अवसर पर कुंभ में सम्मिलित हुए मुख्यमंत्री

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    मुख्यमंत्री रावत प्रयागराज में पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर कुंभ पर्व में सम्मिलित हुए। उन्होंने कुंभ क्षेत्र का भ्रमण कर मेले की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। संत महात्माओं से आशीर्वाद लिया तथा अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं महामंत्री से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने विभिन्न अखाडों के प्रतिनिधियों एवं संत समाज से भेंट कर हरिद्वार में वर्ष 2021 में आयोजित होने वाले इस सदी के दूसरे महाकुंभ में सम्मिलित होने का आमंत्रण दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रयागराज कुंभ की व्यवस्थाओं एवं अनुभवों का उपयोग हरिद्वार में आयोजित होने वाले आगामी महाकुंभ में किया जायेगा।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि, “देवभूमि की अतिथि देवो भवः की हमारी परम्परा है। अपनी इस महान परम्परा का निर्वहन करते हुए हरिद्वार में इस सदी के दूसरे महाकुंभ में सम्मिलित होने वाले देश विदेश के श्रद्धालुओं को आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने का हमारा प्रयास है। इस सम्बन्ध में संत समाज एवं सभी अखाडों के प्रतिनिधियों से भी सुझाव लेकर आवश्यक व्यवस्थायें सुनिश्चित की जायेगी।” मुख्यमंत्री ने कहा कि, “वर्ष 2021 से पूर्व उत्तराखण्ड में चारधाम सड़क परियोजना पूर्ण हो जायेगी तथा ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाईन का भी काफी कार्य पूर्ण हो चुका होगा। इससे महाकुंभ में आने वाले ऋद्धालुओं को उत्तराखण्ड के चारधामों के दर्शन भी सुविधाजनक ढंग से हो सकेंगे।”

    मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि, “वर्ष 2021 में हरिद्वार में आयोजित होने वाले महाकुंभ की तैयारियां आरम्भ कर दी गई है। पुलिस विभाग के आला अधिकारियों को कुंभ मेले में करोड़ों की संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं के प्रबन्धन और सुरक्षा व्यवस्था को शीर्ष प्राथमिकता दिये जाने के निर्देश दिये गये हैं।”

    मुख्यमंत्री ने कहा कि, “हरिद्वार में महाकुंभ 2021 का सफल आयोजन हमारी प्राथमिकता है इसकी व्यवस्थायें अभी से प्रारंभ कर दी गयी है। महाकुंभ हेतु हरिद्वार में रिंग रोड प्रस्तावित है। सभी विभागों को समय रहते अपने बजट एवं संसाधनों की व्यवस्था करने को कहा गया है। पेशवाई के आने-जाने हेतु वैकल्पिक पुलों आदि की योजना बनायी जा रही है।”

    मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रारम्भिक तौर पर 2021 कुंभ के लिये कुल 2200 करोड़ के कार्य प्रस्तावित किये जा रहे हैं जिसमें अधिकांश कार्य स्थायी प्रकृति के होंगे। संपूर्ण मेला क्षेत्र लगभग 130 वर्ग किमी है। हरिद्वार, देहरादून, टिहरी और पौड़ी जनपदों के भू-भाग मेला क्षेत्र में आयेंगे।