शौर्य दिवस पर मुख्यमंत्री ने कारगिल शहीदों को श्रद्धांजलि दी

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शौर्य दिवस पर गांधी पार्क, देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कारगिल शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर कारगिल शहीदों को नमन किया। मुख्यमंत्री ने वीर जवानों की शहादत को सलाम करते हुए कहा कि जब भी देश को जरूरत हुई मातृभूमि की रक्षा के लिए हमारे जवान अपना सर्वस्व अर्पण करने के लिए तैयार रहे हैं। सेना के जवानों के, शौर्य व पराक्रम से ही आज  हमारी सरहदें सुरक्षित हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि, “कारगिल का युद्ध विषम परिस्थितियों में लड़ा गया था। फिर भी हमारे जवानों ने सेना ने अप्रतिम साहस व बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए दुश्मनों को बाहर खदेड़ा। कारगिल के युद्ध में हमने अपने जवानों के रक्त के एक-एक कतरे का बदला दुश्मनों से लिया। कारगिल का युद्ध हमारी सेना के पराक्रम के लिए हमेशा जाना जाएगा। कारगिल की लड़ाई जब-जब याद की जाएगी तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को भी याद किया जाएगा।” उन्होंने उस समय राजनैतिक इच्छा शक्ति का परिचय दिया। कारगिल का युद्ध ऐसा युद्ध था जब हमने अपनी एक-एक इंच भूमि की रक्षा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि, “सैनिकों, पूर्व सैनिकों, वीर नारियों व शहीद सैनिकों के परिवारजनों का राज्य सरकार सम्मान करती है। प्रत्येक जिले में सैनिकों, पूर्व सैनिकों व उनके परिवारजनों की समस्याओं के निस्तारण के लिए एडीएम को नोडल अधिकारी नामित किया गया है। सैनिक छुट्टी लेकर जब घर आते हैं तो उनके अपने काम भी होते हैं जो कि उन्हें निपटाने होते हैं। इसलिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि सैनिकों की शिकायतों व समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान किया जाए।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को शौर्य दिवस पर स्कूलों में छात्र-छात्राओं को कारगिल की लड़ाई व हमारे सैनिकों के पराक्रम के बारे में बताया जाएगा।
विधायक गणेश जोशी ने कहा कि, “मुख्यमंत्री स्वयं सैनिक परिवार से हैं और वे सैनिकों के प्रति विशेष तौर पर संवेदनशील हैं। शहीद सैनिकों के परिवार में से एक व्यक्ति को राज्य सरकार द्वारा नौकरी प्रदान की जाएगी। सहस्त्रधारा रोड़ स्थित डांडा लखौण्ड में वार मेमोरियल बाॅयज एंड गल्र्स हाॅस्टल बनाया गया गया है। इसके लिए सरकार ने भूमि व 2 करोड़ 50 लाख रूपए की सहायता दी। काॅलेजों व विश्वविद्यालयों में शौर्य दिवारें बनाई गई हैं ताकि हमारे युवा प्रेरणा प्राप्त कर सकें।”
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में पदक विजेता सैन्य अधिकारियों, सैनिकों, शहीद सैनिकों के परिवारजनों, वीर नारियों को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम में बताया गया कि कारगिल की लड़ाई में देश के 527 जवान शहीद हुए इनमें से 75 उत्तराखण्ड के थे। जबकि पाकिस्तान के कई गुना अधिक सैनिक मारे गए।