जगलों की आग ने मुख्यमंत्री का भी चढ़ाया पारा, पर क्या सुधरेंगे हालात?

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File photo
कई दिनों से उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग पर आखिरकार सरकार जागती दिखी है। इसके चलते मुख्यमंत्री ने बुधवार को सभी ज़िलाधिकारियों की जमकर क्लास लगाई। मुख्यमंत्री वनाग्नि की घटनाओं की रोकथाम के लिये सभी जिलाधिकारियों को  कदम उठाने के निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों को आडे़ हाथों लेते हुए उनसे पूछा कि उन्होंने क्या तैयारी की थी? अगर तैयारी पूरी थी तो परिणाम क्यों नहीं मिला? मुख्यमंत्री ने वन विभाग के नोडल अधिकारी वीपी गुप्ता और डीएफओ पौड़ी को फटकार लगाते हुए कार्यप्रणाली में सुधार लाने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को भी हिदायत दी कि अपने जिलों में वनाग्नि की घटनाओं की जवाबदेही उन्हीं की होगी।
आग से बचाव के लिये आवंटित रकम का 50 फीसदी ही जारी हुआ
वनाग्नि की रोकथाम के लिये कुल 12 करोड़ 37 लाख है पर हालात ये हैं कि एत तरफ पहाड़ धूं धूं कर के जल रहे हैं और वहीं इस बजट का 50 प्रतिशत ही जारी किया गया है। इस पर भी अधिकारियों को सीएम की नाराजगी का सामना करना पड़ा। उन्होंने वन विभाग को फटकार लगाते हुए कहा कि,‘‘आग अभी लगी है, आप पैसा कब के लिये बचा रहे हैं।’’ उन्होंने शेष राशि तत्काल जिलों को देने के निर्देश दिए। सभी जनपदों में आपदा प्रबंधन मद में 5-5 करोड़ की धनराशि दी गई है।
सभी विभागों को आग से निपटने के लिये साथ काम करने के निर्देश देते हुए सीएम ने कहा कि वन विभाग बारिशों का इंतजार न करे और अभी से अपने प्रयासों को तेज करे।  वनाग्नि की घटनाओं में सम्बन्धित नोडल अधिकारी ने बताया कि अभी तक कुल 776 घटनाएं दर्ज हुई है, जिनमें 1271 हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है। 40 मास्टर कंट्रोल रूम स्थापित किये गये है।