तीर्थ नगरी में ठंड का कहर, प्रशासन संवेदनहीन

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ऋषिकेश,  त्रिवेणी घाट पर गंगा किनारे गरीबों का जमावड़ा लगा था। भीषण ठंड का अहसास उनके हिलते शरीर को देख सहज ही लगाया जा सकता था।

दरअसल, इनको ठंड से निजात के लिए मदद की दरकार थी। केवल यहीं नहीं, बल्कि शहर के कई फुटपाथों पर ऐसा ही नजारा आम था। लोग जुगाड़ यानी प्लास्टिक, कचरा, टायर या फिर बीनकर लाई गई लकड़ियों को जला ठंड से लड़ने की कोशिश करते नजर आए। सर्दी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, जिससे जनजीवन बेहाल होने लगा है। लोगों की नींद खुली तो घने कोहरे की चादर छाई हुई थी, बेहद ठंडे दिन मे हर किसी को जबरदस्त शीतलहर का सामना करना पड़ा, ठंड ने लोगों की मुसीबत बढ़ा दी है।

गरीबों को अलाव का सहारा लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। ठंड अधिक होने की वजह से लोग देर तक बिस्तरों में दुबके रहे। दोपहर बारह बजे के बाद हल्की धूप निकली तब कहीं जाकर कुछ राहत मिली। शाम को सर्दी फिर से बढ़ गई। अब हाड़ कंपाने वाली सर्दी पड़ने लगी है। जिसके चलते हर किसी का बुरा हाल हो रहा है।

नूतन वर्ष से कड़ाके की सर्दी का सामना लोगों को करना पड़ा, सर्द हवाएं चल रही थीं, जिसके चलते लोगों को भारी परेशानी हुई। जो भी सुबह घर से निकला वह सर्दी से बचाव का इंतजाम किए हुए था। राहगीरों व गरीबों को अलाव के सहारे ही ठंड दूर करना मजबूरी थी। बाजारों में दुकानदार तक अपनी दुकानों के बाहर लकड़ियां मंगाकर अलाव तापते हुए नजर आए। दोपहर तक धूप के दर्शन नहीं हुए। 12 बजे के बाद धूप निकली तक कहीं जाकर राहत मिल सकी।

शाम को फिर से सर्दी बढ़ गई जिसके चलते चौराहों पर अलाव जल गए।लगे हाथों बताते चले कि प्रशासन की और से जनवरी माह के प्रराम्भ होने के बाद भी अब तक गरीबों और मजलूमों को कंबल नही बांटे गए हैं। जिसे देख कह सकते हैं कि आसराविहीनों की और प्रशासन पूरी तरह से संवेदनहीन बना हुआ है। इस संबंध में दर्द पालिका के अधिशासी अधिकारी महेंद्र सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि प्रशासन की ओर से गरीबों मजदूरों के लिए कमरों की व्यवस्था की जा रही है जिन्हे सिगरेट बंटवा दिया जाएगा।