आपदा प्रबंधन के लिये लोकल लोगों को प्रशिक्षित करने की ज़रूरत: रावत

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न्यू कैंट रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास में आयोजित आपदा प्रबंधन की राज्य स्तरीय कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आपदा प्रबंधन में स्थानीय जनप्रतिनिधियों को शामिल करने पर बल देते हुए कहा है कि इससे हम आपदा प्रबंधन का एक अच्छा परिमार्जित माॅडल बना सकते हैं। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि आपदा से गांवों को बचाना है तो हरियाली को बढ़ाने, बरसात के पानी को संरक्षित करने व परम्परागत खेती को अपनाना होगा। पिछले वर्षों में हमारी आपदा प्रबंधन की क्षमता में बहुत सुधार हुआ है। भारत सरकार के पास एनडीआरएफ है तो हमारे पास एसडीआरएफ है। आपदा प्रबंधन के लिए एक वालंटियर कोर भी स्थापित किए जाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हमारे रेस्पोंस में कुशलता आई है। इसी का परिणाम है कि राज्य में पर्यटकों की संख्या वर्ष 2012 के बराबर हो गई है। बिना नेशनल हाईवे को बंद किए कांवड़ यात्रा को सफलतापूर्वक संचालित किया गया है। अर्धकुम्भ के आयोजन व चार धाम यात्रा में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। चारधाम यात्रा में इस बार 15 लाख से अधिक श्रद्धालु आए हैं।

आपदाओं की सूचना समय पर आपदा नियंत्रण कक्ष एवं स्थानीय पुलिस फायर व एंबुलेस सेवा को दिये जाने में ग्राम स्तर पर नागरिकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिये पहली बार राज्य स्तरीय कार्यशाला में ग्राम प्रधानों को शामिल किया गया है। राज्य सरकार द्वारा ग्राम स्तर पर जागरूकता के लिये कई क़दम उठाये जा रहे हैं:

  • इनमें न्याय पंचायत स्तर पर 10 दिवसीय खोज एवं बचाव प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिसमें अबतक 486 न्याय पंचायतों में 12150 स्वयं सेवकों को प्रशिक्षित किया गया है।
  • प्रशिक्षण प्राप्त स्वयंसेवकों को विवरण वैबसाईट पर रखा गया है जिससे समय आने पर उनका उपयोग भी आपदा प्रबन्धन कार्यों में किया जा सके।
  • भूकम्प सुरक्षित निर्माण को बढ़ावा दिये जाने के लिये अभियन्ताओं तथा राज मिस्त्रियों को प्रशिक्षण आपदा प्रबन्धन विभाग की ओर से दिया जा रहा है। इन कार्यक्रमों के अन्तर्गत 1460 राजमिस्त्री तथा 50 प्रदर्शन ईकाइयों का भी निर्माण किया गया है। जीर्ण क्षीर्ण भवनों को भूकम्प सुरक्षित बनाये जाने के लिये रेट्रों फिटिंग का कार्य भी किया जा रहा हैं एवं
  • प्रदेश के 07 स्कूलों को इस विधि से भूकम्प सुरक्षित बनाया गया है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य आपदा प्रबन्धन के लिये लगभग 15 करोड़ के उपकरण उपलब्ध कराये गये हैं एवं अन्य उपकरणों के लिये कार्यवाही की जा रही है। आपदा प्रबन्धन बल की 02 और कम्पनियाॅं स्थापित करने हेतु भी प्रयास किया जा रहा है। राज्य आपदा प्रबन्धन कार्ययोजना तैयार कर ली गयी है एवं विभिन्न विभागों से भी विभागवार आपदा प्रबन्धन योजनाऐं तैयार किये जाने का अनुरोध किया गया है, जिससे आपदा घटित होेंने पर सुनियोजित एवं समेकित प्रतिक्रिया हो सके। राज्य में राज्य स्तर पर तथा सभी जिलों में आपातकालीन परिचालन केन्द्र सभी दिवसों एवं 24 घंटे प्रतिदिन संचालित किये जा रह हैं। इसके साथ ही मौसम सम्बन्धी जानकारियों एवं आपदा से सम्बन्धित जानकारियों को बल्क एस0एम0एस0 के माध्यम से उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्य स्तर पर टाॅलफ्री नम्बर 1070 एवं जनपद स्तर पर 1077 उपलब्ध है।