देहरादून। प्रदेश की वर्तमान भाजपा सरकार पूर्व कांग्रेस सरकार के फैसलों को अव्यवहारिक बताते हुए परिवर्तन कर अब नए सिरे से काम कर रही है। चाहे नगर निकायों का मामला हो या फिर वन रक्षकों की भर्ती का सब पर सरकार समय के हिसाब से जनहित का मुद्दा बताकर योजनाओं को बदल रही है।
राज्य की वर्तमान सरकार ने पूर्व कांग्रेस सरकार हरीश रावत के फैसले पलटने शुरू कर दिए हैं। जहां सरकार ने शहरी विकास विभाग के तहत पहला बदलाव किया है। वहीं नगर निकाय बोर्ड में अब 20 फीसद से ज्यादा नामित सदस्य नहीं हो सकेंगे। नगर निकाय एक्ट में पुरानी व्यवस्था को संशोधित किया गया है और नगर निगमों के मामले में अधिसूचना जारी कर दी गई है। कांग्रेस सरकार के समय कीर्तिनगर, देवप्रयाग, नरेन्द्र नगर, नंदप्रयाग और ऊखीमठ जैसे निकायों में मानकों को ताक पर रखकर सदस्य नामित किए गए थे।
वहीं, वन रक्षकों की भर्ती के मामले पर भी राज्य सरकार ने बदलाव का फैसला कर लिया है। वन रक्षकों की भर्ती अब राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग नहीं करेगा बल्कि वन विभाग को ही इसका अधिकार देने की तैयारी है। वन सेवा नियमावली 2016 में राज्य सरकार ने संशोधन का प्लान तैयार कर लिया है। वर्तमान सरकार का कहना है कि राज्य हित में अनेकों जनकल्याणकारी योजनाएं सरकार ला रही है, जिसका फायदा आने वाले समय में लोगों को मिलेगा। वहीं कांग्रेस इसे सियासी नौटंकी बताकर सरकार को प्रदेश विरोधी बता रही है।
जहां भजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भटृ का कहना है कि केन्द्र और राज्य सरकार के सहयोग से प्रदेश को खुशहाल बनाने के लिए निर्णय तेजी से लिए जा रहे हैं और सरकार ऐसे अनेकों योजनाओं को ला रही है, जिससे सीधे जनता को लाभ मिल सके। वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने सरकार के कामों पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार वादों से मुकर रही है। पूर्व सरकार की योजनाओं पर सरकार का ध्यान नही है, अच्छी योजनाओं का श्रेय सरकार नाम कर रही है।