कांग्रेस ने भाजपा की झोली में डाली हरिद्वार सीट?

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हरिद्वार। लम्बी प्रतीक्षा के बाद कांग्रेस से उत्तराखण्ड में अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। हरिद्वार लोकसभा सीट से कांग्रेस ने अंबरीष कुमार पर दांव आजमाया है। घोषणा से पूर्व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के इस सीट से चुनाव लड़ने की संभावना जतायी जा रही थी, किन्तु कांग्रेस ने उन्हें नैनीताल सीट से अपना उम्मीद्वार घोषित किया है। हरिद्वार सीट से अम्बरीष कुमार भाजपा के निशंक की तुलना में काफी कमजोर प्रत्याशी माने जा रहे हैं। अम्बरीष पर दांव खेल कांग्रेस ने यह सीट भाजपा को बतौर उपहार देने का काम कर दिया है।
भाजपा ने हरिद्वार सीट पर सीटिंग एमपी डा. रमेश पोखरियाल निशंक पर विश्वास जताते हुए उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित किया। वहीं कांग्रेस के टिकट पर हरीश रावत के चुनाव लड़ने की संभावना जतायी जा रही थी, किन्तु ऐन वक्त पर टिकट अंबरीष कुमार को दे दिया गया। अम्बरीश कुमार को टिकट देने के बाद कांग्रेस में गुटबाजी भी सामने आ चुकी है।
हरिद्वार सीट से पूर्व राज्य मंत्री डा. संजय पालीवाल, पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पारस कुमार जैन के पुत्र मनोज जैन ने भी टिकट की दौड़ में शामिल थे और उन्होंने नामांकन पत्र भी खरीद लिया था। टिकट की दौड़ में हरीश रावत के बाद डा. संजय पालीवाल और सतपाल ब्रह्मचारी का नाम सबसे आगे था, किन्तु अंबरीष कुमार का टिकट फाईनल होने से कांग्र्रेस में गुटबाजी को हवा मिल गई है। पहले से ही कई खेमों में बंटी कांग्रेस के लिए अब इस सीट पर जीत का स्वाद चखना और मुश्किल दिखाई देने लगा है।
अंबरीष कुमार प्रथक उत्तराखण्ड के समय पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रवाद की लहर में सपा के टिकट पर विधायक बन गए थे। उसके बाद उन्होंने सपा से किनारा कर अपना मोर्चा खड़ा किया था। उसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, किन्तु हार का सामना करना पड़ा। प्रत्येक विधानसभा चुनाव में अंबरीष कुमार ने चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई, किन्तु एक बार के अलावा उन्हें हार का ही सामना करना पड़ा।
अंबरीष कुमार के लिए लोकसभा चुनाव में जीत का वरण करना आसान नहीं है। सपा में रहते हुए अंबरीष कुमार ने मैदानी और पर्वतीय के बीच जमकर खाई खोदने का काम किया। इस कारण पर्वतीय मूल के लोग अंबरीष से नाराज ही नजर आए। कांग्र्रेस में आने के समय भी अंबरीष के विरोध में स्वर सुनाई दिए थे। हरिद्वार लोकसभा सीट पर देहरादून जिले का भी बड़ा हिस्सा है। जहां पर्वतीय मूल के लोगों के बड़ी संख्या है। हरिद्वार में भी पर्वतीय मूल के लोग बड़ी संख्या में निवास करते हैं। ऐसे में पर्वतीय मूल के लोगों का वोट कांग्रेस से खिसक सकता है। वहीं कांग्रेस में एक बड़ा धड़ा हरीश रावत का समर्थक है। हरीश और अम्बरीश के बीच 36 का आंकड़ा किसी से छिपा हुआ नहीं है। ऐसे में हरीश रावत गुट कभी नहीं चाहेगा की अंबरीष कुमार हरिद्वार सीट से जीत का परचम लहराएं। वहीं ब्रह्मचारी गुट भी अंबरीष के समर्थन में खुलकर काम करने वाला नहीं है। जिन लोगों ने टिकट की दावेदारी की थी और उन्हें निराशा हाथ लगी वह भी अंबरीष कुमार का खुलकर समर्थन नहीं करेंगे। दूसरा कारण की एक बड़े कांग्रेस के गुट से अंबरीषा कुमार के संबंध मधुर नहीं रहे हैं। वहीं हरिद्वार से बाहर अंबरीष कुमार की देहात व आम लोगों में कोई मजबूत पकड़ नहीं है। इतना जरूर है कि हरिद्वार के लोग अंबरीष कुमार को जानते हैं, किन्तु वोट के मामले में दूरी बनाए रखना उचित समझते हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो तीन बार अंबरीष कुमार को विधानसभा चुनावों में हार का सामना नहीं करना पड़ता। इसी कारण उन्हें भाजपा प्रत्याशी के मुकाबले काफी कमजोर प्रत्याशी माना जा रहा है। लोगों में चर्चा है कि अंबरीष कुमार को कांग्र्रेस ने मैदान में उतारकर भाजपा प्रत्याशी को जीत का उपहार चुनाव से पूर्व ही दे दिया है।