नोटबंटी को लेकर उत्तराखण्ड कांग्रेस ने मनाया काला दिवस

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देहरादून, भाजपा सरकार के नोटबंदी बरसी और जीएसटी के विरोध में उत्तराखण्ड कांग्रेस द्वारा आज देहरादून सहित प्रदेशभर के जिला मुख्यालयों पर जोरदार प्रदर्शन करते हुए काला दिवस मनाया गया। इस मौके पर प्रदर्शनकारियों ने केन्द्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में बुधवार को कांग्रेस मुख्यालय पर भारी संख्या में कार्यकर्ता एकत्रित हुए। जहां से हजारों की संख्या में कांग्रेसी कार्य राजीव भवन से घण्टाघर-पलटन बाजार-कोतवाली-डिस्पेंसरी रोड़ होते हुए राजीव काम्प्लेक्स तक विरोध मार्च निकाला गया।

black day

कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 8 नवम्बर 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लिए गए नोटबंदी के अविवेकपूर्ण फैसले से एक वर्ष का समय पूरे होने के बाद देश में असमंजस का माहौल बना हुआ है तथा दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाला आम आदमी इस सदमे से नहीं उबर पाया है। जिससे आम गरीब एवं मध्यम वर्ग के व्यक्तियों को परेशानी उठानी पड़ रही है। जिसे कांग्रेस सहन नही करेगी और सरकार के ऐसे कार्यो को पार्टी आलोचना करती है।

उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद बैंकों में रखे अपने पैसे को वापस पाने के लिए निम्न व मध्यम वर्ग का व्यक्ति भिखारी की भांति लाईन में खड़ा होना पड़ा था। काला धन बाहर निकालने एवं जाली करेंसी को चलन से बाहर करने के नाम पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लिये गये इस फैसले के पीछे देश के चुनिंदा औद्योगिक घरानों को लाभ पहुंचाने तथा देश की अर्थ व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने की साजिश ही रही है।
उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने अपने तीन साल के कार्यकाल में एक भी ऐसी योजना नहीं दी जिससे गरीब व आम आदमी का भला हो सके उल्टे कुछ बड़े घरानों को फायदा पहुंचाने की नीयत से देश की आम जनता को प्रताडित करने का ही काम किया है।

प्रीतम सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस तुगलकी फरमान से पर्यटन पर आधारित उत्तराखण्ड जैसे अल्प संसाधन वाले राज्यों को भारी नुकसान उठाना पड़ा तथा पर्यटन व्यवसाय को भारी क्षति हुई। केन्द्र सरकार द्वारा जिस बिना पूर्व तैयारी के नोटबंदी और जी.एस.टी. को लागू किया गया। कांग्रेस पार्टी जीएसटी की पक्षधर रही है तथा यूपीए सरकार के समय 2004 में पहली बार तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने अपने भाषण में जीएसटी का उल्लेख किया था।

उन्होंने बताय कि यूपीए सरकार की कोशिश थी कि 2010 तक जीएसटी देश में लागू किया जाय तथा इसके लिए सभी राज्यों से जीएसटी के बारे में सहमति भी मांगी गई थी। परन्तु तत्कालीन गुजरात सरकार के मुख्यमंत्री एवं वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिह चौहान ने जीएसटी पर सहमति देने की बजाय जीएसटी को सिरे से खारिज कर दिया था। यूपीए सरकार अधिकतम 14 प्रतिशत टैक्स के साथ जीएसटी लागू करने जा रही थी, जबकि वर्तमान सरकार ने जीएसटी में टैक्स के 4 स्लैब तय किये हैं।