देहरादून। कांग्रेस और विवाद दोनों चोली दामन का साथ हो गया है। उत्तराखंड कांग्रेस इसका ज्वलंत उदाहरण है। एक बार फिर हरीश रावत समर्थक प्रीतम पर आक्रामक है। इसके कारण कांग्रेस में शीत युद्ध छिड़ गया है।
इसका कारण हरिद्वार संसदीय सीट से हरीश रावत का नाम न भेजा जाना है। हरिद्वार कांग्रेस कमेटी की ओर से हरिद्वार संसदीय से जो नाम भेजे गए है, उनके संभावित प्रत्याशियों में राम सिंह सैनी, संजय पालीवाल व हरपाल साथी के नाम शामिल है। रावत समर्थकों को उम्मीद थी कि हरिद्वार से प्रमुख दावेदारों में हरीश रावत का नाम होगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। अब हरीश समर्थक मान रहे हैं कि यह नाम पीसीसी चीफ प्रीतम सिंह ने कटवाया है। उत्तराखंड के दोनों दल इन दिनों संसदीय प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया में जुटी है। भाजपा के पास जहां पांचों वर्तमान सांसद अपनी सीटों पर काबिज हैं, वहीं कांग्रेस को पांचों सीटों पर प्रत्याशी तलाश करना है जिसके कारण कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई है। दूसरी ओर भाजपा ने जोरदार तैयारियां कर कांग्रेस को हाशिये पर खड़ा कर दिया है।
कांग्रेस में विवाद होना और एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाना आम घटना है। लेकिन जिस ढंग से राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत विभिन्न क्षेत्रों में लगातार भ्रमण कर रहे हैं तथा लोगों को अपने पाले में करने की कोशिश कर रहे हैं ,उससे प्रीतम सिंह खुश नहीं है। हरिद्वार की सूची आने के बाद तो दोनों में सीधे-सीधे फ्रंट खुल गए हैं। कांग्रेस भले ही दावे कुछ भी करें पर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष प्रीतम सिंह और राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की यह जंग पार्टी को नुकसान पहुंचाने वाली हैं एक लंबे अर्से से कांग्रेस कमेटी की ओर से प्रयास रहा है कि हरीश रावत को बाहर का रास्ता दिखाया जाए। लेकिन हरीश रावत है कि बार-बार उत्तराखंड में ही आ आते हैं जिसके कारण न तो प्रीतम सिंह की राह आसान है और न ही हरीश रावत की। इस झगड़े के कारण कांग्रेस को लगातार नुकसान हो रहा है। इस संदर्भ में कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता एवं हरीश रावत के परम सहयोगी सुरेन्द्र कुमार का कहना था कि जैसा मीडिया के लोग समझते हैं, वैसा कुछ नहीं है। राजनीति में हरी व्यक्ति अपने दावेदारी पेश करता है लेकिन होता वही है जो आलाकमान करता है। राजनीति में मतभिन्नता आम बात है, मन भिन्नता नहीं होनी चाहिए।