कांग्रेस ने बगावत झेल चुके हरीश रावत को मध्य प्रदेश के मोर्चे पर भेजा

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देहरादून,  कांग्रेस के अनुभवी नेता उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को कांग्रेस हाईकमान ने मध्य प्रदेश के मोर्चे पर भेजा है। हरीश रावत 2016 में सीएम रहते हुए उत्तराखंड में ऐसी ही स्थिति का सामना कर चुके हैं। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के स्तर पर पूरी ताकत लगा देने के बावजूद रावत अपनी सरकार को बचा लेने में सफल हुए थे। माना जा रहा है कि रावत को मध्य प्रदेश भेजते वक्त हाईकमान के जेहन में कहीं न कहीं यह बात रही है।
इन स्थितियोें के बीच एक बार फिर यह साबित हो गया है कि कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में हरीश रावत की हैसियत बड़ी है। अशोक गहलोत, मुकुल वासनिक समेत तमाम बड़े नेताओं के साथ हरीश रावत को मध्य प्रदेश संकट से निबटने के लिए हाईकमान ने जिम्मेदारी सौंपी है। हरीश रावत इस वक्त भोपाल में हैं और मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ सरकार बचाने की रणनीति में जुटे हुए हैं।
दरअसल, 2016 में जिस वक्त हरीश रावत सीएम थे, उस वक्त विनियोग विधेयक पारित कराने के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और डॉ. हरक सिंह रावत की अगुवाई में हुई बगावत में कांग्रेस के नौ विधायकों ने सदन में ही पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया था। उस समय सभी को लगा था कि हरीश रावत सरकार गिर गई , लेकिन पूरी कांग्रेस ने एकजुटता से संघर्ष किया। हालांकि हरीश रावत सरकार को बाद में भंग कर राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था, लेकिन कानूनी लड़ाई के बाद हरीश रावत ने सदन में बहुमत साबित किया। इसके बाद उनकी सरकार बहाल हुई।
उत्तराखंड कांग्रेस के शीर्ष पदाधिकारियों का मानना है कि मध्य प्रदेश में जिस तरह से सरकार के सामने संकट खड़़ा हुआ है, उससे निपटने में हरीश रावत के अनुभव काम आएंगे। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रहेे मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि हरीश रावत और अन्य नेताओं पर पार्टी हाईकमान ने भरोसा किया है तो इसका लाभ मिलेगा। भाजपा ने साजिश के तहत वहां सरकार के सामने संकट खड़ा  किया है।