मेडिकल कॉलेज नियुक्तियों को लेकर संविदा पर रखे डॉक्टरों के तेवर तल्ख

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देहरादून। प्रदेश के तीनों मेडिकल कॉलेजों में एक सप्ताह में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होनी है। लेकिन नियुक्तियों से पहले ही इसे लेकर विरोध के स्वर सुनाई देने लगे हैं। मामले में संविदा पर रखे गए डॉक्टरों ने सरकार पर उनकी अनदेखी किए जाने का आरोप लगाया है। डॉक्टरों ने विधान सभा अध्यक्ष से भी उनकी स्थाई नियुक्ति किए जाने की मांग की।
राज्य के तीनों मेडिकल कॉलेजों में रिक्त पड़े पदों पर गौर करें तो संस्थानों में 151 असिस्टेंट प्रोफेसर के पद खाली पड़े हैं। वहीं, अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के लिए 22 अतिरिक्त असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति भी होनी है। इसके साथ ही संस्थानों में एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के कितने पदों पर नियुक्ति होनी है, यह तय करना बाकी है। नियुक्ति प्रक्रिया एक सप्ताह में शुरू होनी है। लेकिन इन नियुक्ति को लेकर अभी तक सेवाएं दे रहे संविदा डॉक्टरों ने आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी है। मामले में दून मेडिकल कॉलेज में सेवाएं दे रहे डॉक्टर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल से मिले और कहा कि मेडिकल कॉलेज की बुनियाद खड़ी करने में उनका योगदान है। ऐसे में, उन्हें प्रक्रिया से हटाकर सीधे स्थाई नियुक्ति दी जाए। इस सबंध में दून अस्पताल के डाक्टरों ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे और मेयर विनोद चमोली से मुलाकात कर अपनी बात रखी। डॉक्टरों के तर्कों से सहमत होते हुए सभी जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को इस संबंध में पत्र लिखा है।
नियमावली के तहत हो रही प्रक्रिया
मामले में चिकित्सा शिक्षा के निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया कि तीनों सरकारी मेडिकल कॉलेज के लिए डॉक्टरों और फैकल्टी का चयन चिकित्सा चयन बोर्ड के जरिए होना है। उन्होंने कहा कि नियमावली 2013 के तहत किसी भी डॉक्टर की स्थाई नियुक्ति साक्षात्कार व अन्य प्रक्रिया के जरिए ही हो सकती है। इसके बाद नियमावली 2016 में भी जो प्रावधान है, उस पर मामला हाईकोर्ट में चल रहा है। लिहाजा, दोनों ही नियमावली से दून अस्पताल में कार्य कर रहे डाक्टरों को फायदा नहीं मिल सकता।