हरिद्वार महाकुंभ क्षेत्र में रोजाना 50 हजार कोरोना टेस्टिंग करने के निर्देश

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हाइकोर्ट
हाईकोर्ट ने हरिद्वार महाकुंभ क्षेत्र में रोजाना 50 हजार कोरोना टेस्टिंग करने,पार्किंग और घाटों के पास मोबाइल चिकित्सा वाहन तैनात किए जाने का आदेश दिया है ताकि श्रद्धालुओं को चिकित्सा सुविधा नजदीक मिले। इसके अलावा कोर्ट ने मेला क्षेत्र में हो क्वालीफाइड चिकित्सकों की तैनाती किए जाने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों ने वैक्सीन की पहली डोज लगवा ली है उनके लिए भी कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट जरूरी है। इसके साथ ही कोर्ट ने कुंभ क्षेत्र में वैक्सीनेशन करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने घाटों और कुंभ इलाके में जल पुलिस की तैनाती करने के निर्देश देते हुए यह भी कहा कि केंद्र की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का सख्ती से पालन कराने के निर्देश सरकार को दिए।
कोर्ट ने अस्पतालों की कमियां दूर करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने मुख्य सचिव व मेलाधिकारी को 13 अप्रैल तक कमियां दूर कर शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट में दाखिल करने के निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 अप्रैल की तिथि नियत की है। कोर्ट ने मुख्य सचिव सहित अन्य आलाधिकारियों को कोर्ट में पेश रहने को कहा है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शिव भट्ट की रिपोर्ट व मुख्य सचिव की रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें बताया कि मेला अधिकारी ने हरकी पैड़ी व मेला क्षेत्र में बहुत अच्छा काम किया है लेकिन कई घाटों में अभी भी कार्य पूर्ण नहीं हुए हैं। वाशरूम अच्छी स्थिति में नहींं है। उनमें सुविधाओंं का अभाव है। राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को अवगत कराया गया कि कुंभ मेला क्षेत्र में सभी कार्य जल्द ही पूर्ण कर लिये जाएंंगे।
मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली व देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर क्वारन्टीन सेंटरों व कोरोना अस्पतालों की बदहाली और उत्तराखंड लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करने की मांग की थी। बदहाल क्वारंटाइन सेंटरों के मामले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर माना था कि उत्तराखंड के सभी क्वारंटाइन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं और सरकार की ओर से वहां पर प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है। इसका संज्ञान लेकर कोर्ट अस्पतालों की नियमित मॉनिटरिंग के लिए जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिलेवार निगरानी कमेटियां  गठित करने के निर्देश दिए थे।