शुरु हो गई मगरमच्छ की गणना

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जिले में नदी नालो के किनारे बसे आबादी क्षेत्रो में मानव और मगरमछो के बीच बढ़ रहे संघर्ष को रोकने के लिए वन विभाग ने मगरमछो, घड़ियालों और उदबिलाऊ की गणना शुरू कर दी है। सतीश रेखाडी, डिप्टी रेंजर सुरई वन रेंज की मानें तो उनका कहना है कि, ”वेस्टर्न सर्किल के विभिन्न रेंज में मतगणना चलाई जा रही है,कटरा नाली और शारदा कनाल में अनेक प्रकार के मगरमच्छ पाए जाते हैं,जिनका डाटा कलेक्ट कर रहे हैं।”

उत्तराखंड में कुमाऊ के मैदानी भाग में छोटे बड़े नदी नालो की भरमार है और यहाँ तरह-तरह के वन्य जीव पाए जाते है। इन क्षेत्रों में मगरमछ और घड़ियाल भारी मात्रा में पाए जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में नालो और नहरो से निकलकर मगरमच्छ और घड़ियालों के रिहायशी में घुसने की घटनाये बढ़ गयी है। जिस कारण मगरमच्छ और मानव संघर्ष की घटनाओं में कई लोगो की मौत हो चुकी है।

विवेक, वन्य जीव विशेषज्ञ का कहना है कि तराई क्षेत्र पानी के श्रोत के लिए मशहूर है,जो भी डाटा आएगा उसका आगे विश्लेषण होगा,मगरमच्छ एक टाप घड़ियाल है तो यह डाटा उसकी कंडीशन और जंगल के लिए यह किया जा रहा है,मगरमच्छ और मानव संघर्ष की बढ़ रही घटनाओं पर रोक लगाने के वन विभाग ने पश्चिमी वृत्त के वन संरक्षक के नेत्रत्व में तराई क्षेत्र में आबादी से लगे नदी – नालो और नहरो में मगरमछो – घड़ियाल और उदबिलाऊ की गणना करायी जा रही है। ताकि इनकी सही संख्या ज्ञात होने के बाद वन विभाग इनके और मानव संघर्स रोकने और इनके संरक्षण के लिए ठोस कार्य योजना बना सके।