जंगली हाथियों ने रौंद डाली फसल

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जानवर
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ऋषिकेश। ग्रामीण क्षेत्रों की खेतों में खड़ी फसल को नष्ट कर रहे जंगली हाथियों के आतंक से इलाके में दहशत का माहौल है। ग्रामीण क्षेत्र खदरी का खादर क्षेत्र अपनी उपजाऊ भूमि के लिए जाना जाता है। किंतु दो दशक से खदरी के किसान खेती को लेकर चिन्तित हैं। हाथी लगातार किसानों की फसलों को पौरों तले रौंद रहे हैं। मंगलवार की रात एक बार फिर किसानों की फसलों को हाथियों ने बुरी तरह रौंद दिया।
मंगलवार रात जंगली हाथियों ने आधा दर्जन से अधिक किसानों की गेंहू की फसल रौंद डाली है। पीड़ित किसानों में जनार्धन प्रसाद, श्याम सुन्दर, हरी प्रसाद, मधुसूदन रयाल, ज्ञान सिंह, प्यार सिंह भंडारी शामिल हैं। राज्य स्थापना के 18 वर्षों बाद भी खेतों व फसल सुरक्षा को लेकर आज तक न तो सुरक्षा तटबन्ध बना है और न सौर ऊर्जा बाड़ लगायी गयी है। लिहाजा खदरी के किसान खेती से विमुख हो रहे हैं।
पर्यावरण व सामाजिक कार्यकर्ता विनोद जुगलान का कहना है कि खदरी में 98 फीसदी भूमिधरों ने खेत बंटाई पर दे दिए हैं ताकि फसल से लाभ मिले या न मिले लेकिन खेत बंजर न दिखाई दे। पहाड़ी मूल के लोगों में खेत बंजर छोड़ने को विनाश का संकेत माना जाता है। उधर बंटाई पर खेती कर रहे साझेदार भी जंगली जानवरों की आमद से न केवल चिंतित हैं बल्कि फसल नुकसान से दुःखी हैं। सरकार का आलम यह है कि वन कर्मियों को खनन चोरी और ओवर लोडिंग के खिलाफ धर-पकड़ में नियुक्त किया हुआ है।
जुगलान ने कहा कभी कभार यदि वनकर्मी पहुंच भी जाते हैं तो उनके पास बन्दूक ख़ाली होती हैं। वे पटाखे छोड़कर जंगली जानवरों को भगाने का प्रयास तो करते हैं किंतु जानवरों पर इनका असर नहीं होता है। जुगलान ने बताया कि अभी तक 2015 तक के फसल मुआवजे लम्बित पड़े हुए हैं किंतु कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उन्होंने लम्बित पड़े फसल मुआवजों के शीघ्र निस्तारण की सरकार से मांग की है।