क्या आप कल्पना कर सकते है बिना मिट्टी के खेती भी हो सकती हैं, शायद ये सुनकर आप को भी अटपटा जरुर लगेगा मगर अब ये सम्भव है, क्योंकि ये कारनामा कर दिखाया है जैवप्रौद्योगिकी निर्देशालय हल्दी पंतनगर के वैज्ञानिको ने, जिन्होने पानी में अपनी फसल तैयार कर सभी को चौंका दिया है, वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गयी ये फसल ना सिर्फ मिट्टी के फसल से बेहतर है बल्कि बिना रसायन के गुणवत्ता परक भी है।
किसी भी पौधे के लिए मिट्टी उतनी ही जरूरी होती है जितना कि मनुष्य के लिए उसकी सासे लेकिन पंतनगर जेवप्रौधोयोगिकी के वैज्ञानिको द्वारा अनोखी खेती की जा रही है वैज्ञानिको की टीम ने बिना मिट्टी से टमाटर, पालक, धनिया और चेरी के पेड़ों को उगा कर नया कीर्तिमान लिखा है, दरअसल इस विधि से तैयार की जा रही फसल को हाइड्रोपोनिक विधि कहते है।
वैज्ञानिको की माने तो बिन मिट्टी के कारण ही पोधो को बीमारी लगती है जिस कारण उसे जितना उत्पादन करना चाहिए था वो नही हो पाता है लेकिन वेज्ञानिको की टीम ने सिर्फ पानी से पेड़ो को जिंदा रखते हुए अधिक उत्पादन कर सबको चौका दिया है, यही नही, पानी मे उगाई गयी फसल की गुणवत्ता मिट्टी में उगाई फसल से बेहतर और स्वस्थ पाई गई है। वैज्ञानिको द्वारा अब तक टमाटर, चेरी, पालक ओर धनिया के पोधो में ये प्रयोग करते हुए सफलता हासिल की है, इस विधि से तैयार की गई फसल में रासायनिक दवाओ का प्रयोग ना के बराबर होता है।
वैज्ञानिको की माने तो पालक की फसल को बोए हुए 35 दिन हो गए है 35 दिनों के भीतर वो 3 बार इस से फसल ले चुके है पानी मे उगाए गयी फसल की गुडवत्ता अौर आकार देख वैज्ञानिक भी चोक गए है। पालक के पौधे की एक साख की लंबाई ओर चौड़ाई लगभग 30×17 सेंटीमीटर है, यही नही रासायनिक दवाओ का कम प्रयोग करने पर इन फसलो की कीमत अौर डिमांड भी अधिक हो सकती है। लगातार कम हो रही कृषि भूमि के लिए ये टेक्नोलजी काफी फायदे मंद हो सकती है, शहर के लोग इस विधि को अपनाते हुए घरों की छतों में लोन में या छोटी से छोटी जगह उत्पादन कर अपनी आय को बड़ा सकते है।
जैवप्रौद्योगिकी निर्देशालय के निर्देशक डॉ एमके नोटियाल के अनुसार, “हाइड्रोपोनिक विधि पहाड़ी जिलों के किसानों के लिए रामबाण साबित हो सकती है पहाड़ो के किसानों को अधिकांस बारिश के पानी पर निर्भर होना पड़ता है अगर बारिश के पानी को किसी ड्रम में एकत्रित कर इस प्रोजेक्ट के तहत खेती की जाय तो कम समय मे अधिक उत्पादन कर किसान अधिक मुनाफा कमा सकता है।” उन्होंने बताया कि अब तक इस विधि को पहाड़ी क्षेत्रों में अमली जामा पहनाने का काम किया जा रहा है जल्द ही ये टेक्नोलॉजी पहाड़ी किसानों को ट्रेनिग के माध्यम से दी जाएगी।
वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दूगना करने का केंद्र ओर राज्य सरकार का सपना पूरा होगा कि नही ये तो भविष्य के गर्व में छिपा हुआ है लेकिन वेज्ञानिको द्वारा इज़ात की गई टेक्नोलॉजी हाइड्रोपोनिक विधि किसानों की खेती में चार चाँद लगा सकती है यही नही शहर में रहने वाले लोगो को भी इस विधि से घर मे खपत होने वाली सब्जियों से निजात मिल सकता है।