पहाड़ो की रानी मसूरी के लिये इन दिनों माजिद अली और साथी किसी मसीहा से कम नही हैं। हों भी क्यों न, माजिद और उनके आदमी इन दिनों मसूरी वासियों को बंदरों के आतंक से निजाद दिलाने में दिन रात एक किये हुए हैं। माजिद को इसी साल मसूरी नगर पालिका ने बंदर भगाने के लिये टेंडर दिया है।
शहर में आतंक का पर्याय बन चुके इन बंदरों को पकड़ने के लिये माजिद की टीम के साथ मसूरी नगर पालिका के सागर और रविंदर भी साथ रहते हैं। रविंदर का कहना है कि, “हमारी पूरी कोशिश रहती है कि इन बंदरों को पकड़ते समय इन्हे चोट न लगे।”
अपनी इस मुहिम के बारे में माजिद बताते हैं कि “मसूरी के लोगों के लिये बंदरों का आतंक सिर से ऊपर हो गया था। इसके चलते उन्होंने नगर पालिका से संपर्क किया और पालिका ने हमें बुलाया। खाने की कमी के कारण बंदर हिंसक होते जा रहे हैं इसके साथ साथ जगह की कमी के कारण भी बंदर लोगों पर हमला करने लगे हैं, छीना झपटी करने लगे हैं।”
ये टीम अपनी वैन में एक एक कर मसूरी के 13 वार्डों का निरीक्षण करती है। इनके पास हथियार के नाम पर मूंगफली, केले और चना रहता है, इसके अलावा लाठियां हैं जो केवल बंदरों को डराने के लिये इस्तेमाल की जाती हैं। एक बार पिंजरा अपनी जगह पर बैठ जाता है उसके बाद किसी पेशेवर टीम की तरह ये दल भी बंदरों को तब तक घेरता रहता है जब तक पिंजरा अपनी क्षमता तक भर न जाये। इस काम को करने में रोज़ाना कम से कम 2-3 घंटे लगते हैं।
पिछले कुछ महीनों में माजिद और उनकी टीम ने शहर में करीब 500 से ज्यादा बंदरों को पकड़ा है। इसके बाद मसूरी वन विभाग के अधिकारियों के साथ इन बंदरों को मोहंड के पास चिड़ियापुर ले जाया जाता है जहां जानवरों के डॉक्टर इन्हे स्टेरलाइज करते हैं।
मसूरी निवासी सतेश्वरी के मुताबिक, “ये हमारे लिये वरदान जैसा है। ये बंदर हिंसक हो चुके हैं और रोजाना महिलाओं और बच्चों पर हमले की घटनाऐं बढ़ती जा रही थी।”
साल खत्म होने में अभी दो तीन महीने बाकी हैं और ऐसे में माजिद के दल की पकड़ में आने वाले इन आतंकी बंदरों की संख्या अभी और बढ़ने की उम्मीद है। इसके चलते फिलहाल तो मसूरी शहर के लोगों को बंदरों के आतंक से फौरी निजात ज़रूर मिलेगी।