बेटे के इंतजार में पिता की लाश

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एक घर के बुजुर्ग मुखिया के शव को श्मशान घाट तक ले जाने के लिए तीन दिनों से अपनों का कंधा नसीब नहीं हो पाया। बुजुर्ग का बेटा और पत्नी बहू की हत्या के मामले में देहरादून जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। वाकया संज्ञान में आने पर जिलाधिकारी सोनिका ने मंडलायुक्त के माध्यम से सजायाफ्ता बेटे और उसकी मां की अंतिम संस्कार के लिए तीन दिन का पैरोल मंजूर करवाया। हालांकि देर शाम तक वह गांव नहीं पहुंच पाया था।

मामला टिहरी जिले के थौलधार ब्लॉक के गैर गांव का है। यहां 70 वर्षीय अतर सिंह की तीन अक्टूबर की दोपहर मौत हो गई थी। वह काफी दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे, घर में अकेले ही रहते थे। उनका बेटा सत्ते सिंह और पत्नी इंद्रा देवी देहरादून की सुद्धोवाला जेल में बंद हैं। घर की बहू यानि सत्ते सिंह की पत्नी संगीता की हत्या के मामले में सजा काट रहे हैं। घर में अन्य कोई सदस्य न होने के कारण अभी तक बुजुर्ग का दाह-संस्कार नहीं हो पाया। तीन दिन से घर में पड़े शव से दुर्गंध आने लगी है। बुजुर्ग की मौत का गांव वालों को उसी दिन पता चल गया था, लेकिन वह तय नहीं कर पा रहे थे ऐसी स्थिति में क्या करें। कुछ लोगों ने सामाजिक रीति रिवाज का हवाला देते हुए बेटे के हाथों ही अंतिम संस्कार कराने की सलाह दी।

उधेड़बुन में दो दिन गुजर गए। बाद में तय किया गया कि जिलाधिकारी से मिलकर कोई रास्ता निकलवाया जाएगा। इस सिलसिले में क्षेत्र पंचायत सदस्य राम सिंह बुढान और अन्य ग्रामीणों ने चार अक्टूबर की शाम डीएम सोनिका से मुलाकात की। उन्होंने डीएम को सारी स्थिति से अवगत कराते हुए बेटे सत्ते सिंह को पैरोल पर छोड़ने की गुहार लगाई। संवेदनशीलता का परिचय देते हुए डीएम ने बगैर देरी किए गुरुवार को डीएम सोनिका ने गढ़वाल कमिश्नर दिलीप जावलकर को पत्र भेजकर सत्ते सिंह को पिता के अंतिम संस्कार के लिए पैरोल देने की सिफारिश की। इसके कुछ देर बाद ही मंडलायुक्त ने सत्ते सिंह और उसकी मां इंद्रा देवी को तीन दिन का पैरोल देने की स्वीकृति दे दी।

हालांकि, कानूनी प्रक्रिया पूरी करने में पूरा दिन गुजर गया, देर शाम तक सत्ते सिंह अपने गांव नहीं पहुंच पाया था। संपर्क करने पर डीएम सोनिका ने बताया कि बुधवार देर शाम उनके संज्ञान में यह मामला आया था। सही स्थिति का पता लगाने के बाद उन्होंने इस संबंध में मंडलायुक्त को संस्तुति भेजी थी, जिसे मंजूरी मिल गई।