पर्यटक जोड़े हत्याकांड मे मुख्य हत्यारे को फांसी की सजा

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विकासनगर। अपर जिला एंव सत्र न्यायाधीश मोहम्मद सुल्तान ने 2014 में चकराता घूमने आए पश्चिम बंगाल के दिल्ली में कार्यरत चित्रकार अभिजीत पोल व उनकी मित्र फाइन आर्ट टीचर की हत्या व दुराचार के मामले में सुनवाई के बाद चकराता क्षेत्र के चारों अभियुक्तों को हत्या व साक्ष्य मिटाने में दोषी करार देते हुए मुख्य आरोप राजू को फांसी की व बाकी 3 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। हालांकि पुष्टि न होने पर दुराचार मामले में दोषमुक्त कर दिया गया था।
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी गुरु प्रसाद रतूड़ी व एडीजीसी क्राइम नरेश चंद बहुगुणा ने घटनाक्रम की जानकारी दी कि 23 अक्टूबर 2014 को नई दिल्ली के थाना साकेत पर फाइन आर्ट टीचर मोमिता दास की गुमशुदगी दर्ज हुई थी। मोमिता अपने मित्र मूल रूप से पश्चिम बंगाल के दिल्ली में कार्यरत चित्रकार अभिजीत पोल पुत्र अतुल पोल हाल निवासी कल्याण निवास लाडोसराय दिल्ली के साथ देहरादून के चकराता में घूमने आयी थी, लेकिन दोनों वापस न लौटने पर थाना साकेत दिल्ली के दरोगा दुर्गादास राठौर ने मोमिता के मोबाइल फोन की सीडीआर निकाली तो अंतिम लोकेशन चकराता की निकली थी। इएमइआइ रन कराने पर मोमिता के फोन में नया सिम नंबर चलता मिला। 24 अक्टूबर से राजू दास पुत्र मोहन दास निवासी टुंगरौली चकराता की आइडी पर फोन चल रहा था। थाना साकेत दिल्ली की पुलिस राजू को तलाशती हुई चकराता व पुरोला आयी। तमाम जांच में राजू की गतिविधियां संदिग्ध पायी गयी। दिल्ली, चकराता, विकासनगर, चकराता थानों की पुलिस ने अभिजीत के चचेरे भाई जोयान्ता पाल व अमिताभ दास को साथ लेकर राजू को लाखामंडल व चकराता में तलाशा और राजू को मय बुलेरो वाहन के पकड़ लिया। राजू की निशानदेही पर कुंदन दास पुत्र मैनूदास, बबलू पुत्र ध्यानू, गुडडूदास पुत्र खानिया सभी निवासीगण टुंगरौली चकराता को भी गिरफ्तार कर लिया गया। चारों ने पूछताछ के दौरान मोमिता व अभिजीत की हत्या कर पर्स, मोबाइल, शाल लूटने व युवती से दुराचार की बात स्वीकारी थी। पुलिस ने अभियुक्तों से लूट का सामान बरामद किया। हत्या करने के बाद अभियुक्तों ने मोमिता का शव लोहे के पुल से यमुना में फेंकने व अभिजीत का शव पहाड़ी से नीचे फेंकना बताया। उत्तरकाशी जिले की पुरोला पुलिस ने नौगांव डामटा राष्ट्रीय राजमार्ग पर जरदा खडड से अभिजीत पुत्र अतुल पाल मूल निवासी दमदम कोलकाता पश्चिम बंगाल का हाथ पैर बंधा शव 31 अक्टूबर 14 को बरामद कर लिया था। जिसकी शिनाख्त उसके चचेरे भाई ने की थी। 23 अक्टूबर 14 को अभिजीत के मोबाइल से अभियुक्त राजू दास के फोन पर सात बार बात हुई थी। जांच में आया कि 23 अक्टूबर को दिन में चकराता बस स्टैंड पर मोमिता व अभिजीत ने राजूदास की बुलेरो बुक की थी। रास्ते में राजू ने जब अपने तीन साथी बैठाए तो मोमिता ने आपत्ति की थी। रास्ते में चारों ने गले में रस्सी डालकर पहले अभिजीत की हत्या की, बाद में दुराचार के बाद मोमिता को भी मार डाला और पर्स व अन्य कीमती सामान लूट लिया था। 13 नवंबर 14 में मोमिता के सड़े गले शव की शिनाख्त चचेरी बहन सुरंजना ने की थी। विवेचक दरोगा रवि प्रसाद कवि, टीएस रावत, डीएस कोहली व प्रतिभा ने जांच के बाद संकलित साक्ष्यों, गवाहों के बयान, नक्शानजरी के आधार पर आरोप पत्र कोर्ट में पेश किया। इस मामले में 43 में से 20 गवाह परिक्षित कराए गए। अपर जिला एंव सत्र न्यायाधीश मोहम्मद सुल्तान ने अभियोजन व बचाव पक्ष की बहस सुनने के बाद चारों अभियुक्तों को दोषी करार दिया था, जबकि दुराचार मामले में अभियुक्तों को दोषमुक्त कर दिया। शुक्रवार को एडीजे ने मुख्य अभियुक्त राजू दास को फांसी व 3 को आजीवन कारावास की सजा व सुनाई है।