देहरादून, प्रदेश में डेंगू, मलेरिया, स्वाइन फ्लू व चिकनगुनिया के कारण आम जनता को होने वाले खतरों और सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा स्वास्थ्य सचिव नितेश कुमार झा ने की। इस दौरान अधिकारियों ने बताया कि, “राज्य में वर्ष 2016 से 2018 के दौरान डेंगू पीड़ित की संख्या में 71 प्रतिशत गिरावट दर्ज हुई है। वर्ष 2016 में जहां डेंगू पीड़ित मरीजों की संख्या 2046 थी वहीं 2018 में घटकर 591 रही है।”
सरकार द्वारा डेंगू को फैलने से रोकने के लिए एक प्रभावी रणनीति पर अमल किया गया। डेंगू संभावित क्षेत्रों में दो लाख से अधिक घरों में आशा कार्यकर्ता व स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा निरोधात्मक कार्रवाई की गई। डेंगू रोगी के घर व आसपास के क्षेत्र में मच्छरों को समाप्त करने के लिए स्प्रे तथा फॉगिंग का कार्य किया गया। समीक्षा में मलेरिया के रोगियों की संख्या में 80 प्रतिशत गिरावट होने की जानकारी दी गई। बताया गया कि वर्ष 2017 में मलेरिया के मरीजों की संख्या जहां 1948 थी, वहीं वर्ष 2018 में मलेरिया पीडि़त मरीजों की संख्या घटकर 388 हो गई है।
राज्य नोडल अधिकारी द्वारा बताया गया कि, “मलेरिया व डेंगू को अधिसूचित की जाने वाली बीमारी की श्रेणी में रखा गया है। जिस कारण निजी अस्पतालों ने भी मलेरिया के मरीजों की सूचना स्वास्थ्य विभाग को प्राप्त हो रही है।” बताया गया कि, उत्तराखंड में चिकनगुनिया व जापानी इन्सेफेलाइटिस से पीडि़त मरीजों की संख्या नगण्य है। इस रोग के लक्षण सिर्फ ऊधमसिंहनगर के कुछ क्षेत्रों में देखने को मिला है।”
स्वाइन फ्लू जैसी जानलेवा बीमारी के बारे में सचिव स्वास्थ्य ने बताया कि वर्ष 2018 में स्वाइन फ्लू से पीडि़त केवल आठ रोगी ही उपचार के लिए अस्पतालों में गए जबकि वर्ष 2017 में 157 मरीज इस बीमारी की चपेट में आए थे। स्वाइन फ्लू पीडि़त मरीजों के त्वरित उपचार एवं प्रभावित रोगी का पता चलने पर आवश्यक कार्रवाई के लिए जनपद स्तर पर रेपिड रिस्पांस टीम का गठन किया गया है।