दून मेट्रो का मोबिलिटी प्लान तैयार, सफर होगा आसान

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(देहरादून) लाइट रेल ट्रांजिट सिस्टम (एलआरटीएस) पर आधारित मेट्रो रेल परियोजना के निर्माण के बाद दून के दो कॉरिडोर पर रोजाना 1.69 लाख से अधिक यात्री सफर करेंगे। कॉम्प्रिहेंसिव मोबिलिटी प्लान (सीएमपी) में इस बात का जिक्र किया गया है। साथ ही प्लान के अनुसार दून में आइएसबीटी से कंडोली और एफआरआइ से रायपुर के कॉरिडोर को अधिक मुफीद माना गया है।

उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी ने बताया कि सीएमपी में दून के दो कॉरिडोर के लिए दो अलग-अलग विकल्प दिए गए हैं। दोनों विकल्प में पहला कॉरिडोर आइएसबीटी से कंडोली तक बरकरार रखा गया, जबकि दूसरे कॉरिडोर में दो विकल्प दिए गए। इसमें एक में एफआरआइ को रिस्पना पुल और दूसरे में एफआरआइ को रायपुर क्षेत्र से जोड़ने का विकल्प दिया गया। दोनों विकल्प में यात्री संख्या तो लगभग समान है, जबकि रिस्पना पुल वाले छोर पर लंबाई करीब दो किलोमीटर कम हो रही है। इस तरह कुल लागत में करीब 280 करोड़ रुपये की कमी आएगी, मगर इस क्षेत्र में मेंटिनेंस डिपो बनाने लायक स्थल नहीं मिल पा रहा है।

वहीं, रायपुर क्षेत्र में मेंटिनेंस डिपो बनाने के लिए जगह आसानी से मिल जाएगी। तकनीकी लिहाज से डिपो के लिए जगह मिलना ज्यादा जरूरी है। इस तरह देखें तो दूसरे कॉरिडोर (एफआरआइ से रायपुर) पर ही परियोजना को आगे बढ़ाया जाएगा। कॉरिडोर के एक्सटेंशन में मसूरी रोड फायदेमंद मोबिलिटी प्लान में आइएसबीटी से कंडोली वाले कॉरिडोर का भविष्य में एक्सटेंशन किए जाने का भी जिक्र है। इस लिहाज से इस कॉरिडोर के लिए दो विकल्प कंडोली से कैनाल रोड व कंडोली से मसूरी रोड दिए गए। दोनों में ही एक्सटेंशन वाले भाग की लंबाई 3.51 किलोमीटर आ रही है, मगर यात्री संख्या के लिहाज से मसूरी रोड वाले भाग पर यात्रियों की संख्या में करीब 10 हजार की कमी दर्ज की जा रही है।

हालांकि, यहां भी तकनीकी पेच फंस रहा है। कैनाल रोड वाले हिस्से में मेंटिनेंस डिपो के लिए स्थान की कमी है, जबकि मसूरी रोड पर यह जगह मिल जाएगी। हालांकि, इस कमी को मसूरी रोपवे परियोजना के निर्माण के बाद पूरा किया जा सकता है।

 

मेट्रो का न्यूनतम किराया होगा 13 रुपये 

उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी ने बताया कि दून के कॉरिडोर के लिए वर्ष 2023 के हिसाब से किराया तय किया गया है। इसमें न्यूनतम किराया 13 रुपये, जबकि अधिकतम किराया 40 रुपये रहेगा।

मेट्रो शुरू होते ही सालभर में 672 करोड़ की आय

प्रबंधक निदेशक त्यागी के अनुसार मेट्रो का संचालन शुरू होते ही सालभर में करीब 672 करोड़ रुपये की आय होगी। जबकि कुल खर्चे 524 करोड़ रुपये के आसपास रहेंगे। इस तरह एलआरटीएस आधारित यह परियोजना आरंभ से ही फायदे में चलेगी और इसके निर्माण की लागत (दून कॉरिडोर में करीब चार हजार करोड़ रुपये) के अलावा भविष्य में सरकार से किसी भी तरह के वित्तीय सहयोग की जरूरत नहीं पड़ेगी।