नेता सदन पुष्कर सिंह धामी को चुनाव लड़ाने पर चर्चा

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    धामी

    पुष्कर सिंह धामी को एक बार फिर नेता सदन चुन लिया गया है और छह महीने में उन्हें विधानसभा चुनाव जीतना होगा। इस संदर्भ में संगठन और सरकार दोनों इस बात से चिंतित है कि उन्हें किस विधानसभा सीट से लड़ाया जाए। इसके लिये निर्दलीय समेत छह विधायक अपनी सीटे छोड़ने को तैयार हैं।

    केन्द्रीय नेतृत्व ने पुष्कर धामी को दूसरी बार उत्तराखंड का मुख्यमंत्री नामित किया है और भाजपा प्रदेश मुख्यालय में सम्पन्न विधायक दल की बैठक में उन्हें नेता सदन चुन लिया गया है। इसके पीछे उनकी छह महीने 18 दिन की सरकार का कार्यकाल तथा उनका व्यवहार मुख्य कारक बना। 23 मार्च को पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री के रूप में दोबारा शपथ लेंगे। इस शपथ के बाद उन्हें छह महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना है। इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 164(4) में प्रावधान किया गया है कि कोई व्यक्ति यदि विधानमंडल का सदस्य नहीं है, तो वह 6 महीने से ज्यादा मंत्री पद पर नहीं रह सकता है। ऐसे में उन्हें 6 महीने के भीतर सदन की सदस्यता लेनी होगी। अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है।

    इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लगभग आधा दर्जन विधायकों ने अपनी सीट से चुनाव लड़ने का आमंत्रण दिया है। इनमें चंपावत के कैलाश गहतोड़ी का नाम प्रमुख रूप से लिया जा सकता है जिन्होंने सबसे पहले इस बात की घोषणा की थी। इसी प्रकार पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत भी कालाढूंगी सीट छोड़ने के लिए तैयार हैं। इसी प्रकार जागेश्वर विधायक मोहन सिंह भी पुष्कर सिंह धामी के लिए सीट खाली करने को तैयार बैठे हैं। इनके अलावा रुड़की के विधायक प्रदीप बत्रा, कपकोट के विधायक सुरेश गड़िया ने भी पुष्कर सिंह धामी को अपनी सीट खाली करने का आमंत्रण दिया है लेकिन संगठन हित में यह आवश्यक होगा कि सभी 47 विधायक बने रहें और किसी निर्दलीय की सीट को रिक्त कराकर उससे मुख्यमंत्री को चुनाव लड़वाया जाए, ऐसे में पार्टी को एक अतिरिक्त सीट मिल जाएगी वहीं विधायक भी नहीं खोना पड़ेगा। इस संदर्भ में खानपुर से विधायक उमेश कुमार शर्मा नाम लिया जा रहा है। उमेश ने सीट छोड़ने की बात कही है लेकिन शर्तों के साथ।

    इस दौरान पार्टी एवं संगठन के कुछ नेताओं का कहना है कि उत्तराखंड में राज्यसभा की एक सीट खाली हो रही है जिसमें किसी वरिष्ठ विधायक को राज्यसभा भेजकर उस सीट से मुख्यमंत्री को चुनाव लड़ाया जा सकता है। प्रदीप टम्टा कुमाऊं के राज्यसभा सदस्य हैं। चार जुलाई को उनकी सीट खाली हो रही है। उनकी सीट पर भाजपा के वरिष्ठ मंत्री और विधायक बिशन सिंह चुफाल को राज्यसभा भेजकर डीडीहाट से मुख्यमंत्री को चुनाव लड़ाए जाने पर विचार किया जा रहा है। वैसे भी डीडीहाट विधानसभा सीट खटीमा और चंपावत से लगी हुई है। जिसका लाभ मुख्यमंत्री और संगठन दोनों को मिल सकता है।