देहरादून कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ जिले के सुदूरवर्ती गोल्फा गांव के नीचे एक सभ्यता के दफन होने का दावा किया गया है। यह दावा कुमाऊं यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. जीएस नेगी ने किया है। उन्होंने बताया कि नौ हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित गोल्फा गांव में मिले अवशेष के आधार पर वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं।
रविवार को उत्तरांचल प्रेस क्लब में पत्रकारों से रूबरू प्रो.जीएस नेगी ने गोल्फा गांव में नाक की नथ, हाथ के कड़े, गगरी, कुदाल, फावड़ा, सिर के अवशेष आदि मिले हैं। इन अवशेषों से गांव के प्रधान बाला सिंह ने एक संग्रहालय बनाया है। प्रो. नेगी ने राज्य सरकार व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से मांग उठाई कि वह इस गांव में खुदाई कर उस सभ्यता का पता लगाए, जिनके अवशेष यहां मिले हैं। उन्होंने यह भी बताया कि गांव में एक तालाब भी मिला, जो अब पूरी तरह सूखा है। इस बात से यह पता चलता है कि कभी इस तालाब में पानी रहा होगा। इसके अलावा प्रो. जीएस नेगी ने जानकारी दी कि गोल्फा क्षेत्र उच्च हिमालयी संसाधनों जैसे-जड़ी-बूटी से लकदक है, लेकिन जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ से 130 किलोमीटर व दुर्गम राह वाले इस गांव से विकास कोसों दूर है। स्कूल भी गांव से 18 किलोमीटर की दूरी पर है। यदि गोल्फा गांव के गर्भ में समा चुकी सभ्यता की पड़ताल के प्रयास शुरू किए गए तो यह पूरा क्षेत्र विश्व फलक पर पहचान बना सकता है।