सफलता के आडे नहीं आने दी शारीरिक अक्षमता 

0
696

हौसले बुलंद हों तो शारीरिक अक्षमता भी किसी को सफलता हासिल करने से नहीं रोक सकती। ऐसी ही मिसाल श्री गुरुनानक बालिका इंटर कॉलेज, रुद्रपुर की 12वीं की छात्रा अमरीन ने पेश की है। दिव्यांग बेटी उत्तराखंड बोर्ड की परीक्षा में 12वीं में 77.2 प्रतिशत अंक हासिल कर शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों के लिए प्रेरणस्त्रोत बन गई है। 17 वर्षीय अमरीन की गर्दन बचपन से ही अज्ञात बीमारी के कारण मुड़ी हुई है। तमाम कोशिशों के बाद भी डॉक्टर उसे ठीक नहीं कर पाए। अपनी शारीरिक अक्षमता को नजरअंदाज कर अमरीन ने शिक्षा को अपना हथियार बना लिया। भविष्य में शिक्षक बनकर अमरीन ज्ञान की ज्योति को घर-घर पहुंचाना चाहती है।

प्रतिभा किसी की मौहताज नहीं होती, प्रतिभावान बच्चे विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता की ऊंचाईयों को छू लेते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है दिव्यांग बेटी अमरीन ने, उसने उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर ने केवल अपने माता-पिता और शिक्षकों को गौरवान्वित किया बल्कि अपने विद्यालय का नाम भी पूरे क्षेत्र में रोशन किया है। श्री गुरुनानक बालिका इंटर कॉलेज में 12वीं कला वर्ग की छात्रा अमरीन ने उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद की परीक्षा में 77.2 प्रतिशत अंक हासिल कर एक अनूठी मिसाल पेश की है। अपनी मेहनत के बल पर उसने बगैर किसी ट्यूशन के अच्छे अंकों के साथ 12 वीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर ली है।

इंद्रा कॉलोनी, गली नं. 3, निवासी अमरीन की माता रेशमा बी गृहणी है और पिता सलीम अहमद टेलिरंग का काम कर परिवार चलाते हैं। अमरीन की चार बहनें और एक भाई है। स्कूल के अलावा अमरीन पांच घंटे घर पर पढ़ा करती थी। अपनी सफलता का श्रेय वह अपने पिता को देती हैं, पिता सलीम अहमद ने अमरीन को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया। मां रेशमा बी और बड़ी बहन हिना ने भी उसे बहुत सपोर्ट किया। इसके अलावा विद्यालय की शिक्षिका इंद्रजीत कौर ने भी कदम-कदम पर अमरीन का हौसला बढ़ाया और उसे शिक्षा के क्षेत्र में मुकाम हासिल करने की प्रेरणा दी। अमरीन भविष्य में शिक्षिका बनकर बच्चों को पढ़ाना चाहती है। पढ़ाई के अलावा वह चित्रकला में खासी रुचि रखती हैं। अमरीन ने साबित कर दिया कि दिव्यांग होना कोई अभिशाप नहीं, मेहनत और लगन के बल पर जीवन में हर मुकाम हासिल किया जा सकता है। अमरीन की इस उपलब्धि में उसके माता-पिता और शिक्षकों का सहयोग भी वाकई काबिले तारीफ है।