एम्स में लगी डायबिटीज मरीजों के उपचार के लिए पाठशाला

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एम्स ऋषिकेश में आयोजित डायबिटीज एजुकेटर सर्टिफिकेट कोर्स के चौथे दिन प्रतिभागियों को मधुमेह ग्रस्त रोगी में होने वाले डायबिटीज फुट के कारण, बचाव व उपचार का प्रशिक्षण दिया गया। संस्थान द्वारा आयोजित छह दिवसीय उच्चस्तरीय प्रशिक्षण में मेडिकल आफिसर, चिकित्सक व नर्सिंग की छात्राएं प्रतिभाग कर रही हैं।

एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत की देखरेख में आयोजित विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम में शल्य चिकित्सा विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सोमप्रकाश बासु ने प्रतिभागियों को मधुमेह के रोगियों में होने वाले डायबिटीज फुट पैरों में छाले पड़ने की बीमारी के कारण,बचाव व उपचार संबंधी प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि मधुमेह के रोगी को अपने पैरों का खास तौर पर ध्यान रखना चाहिए। जिससे पैरों में होने वाले घावों से बचा जा सके। पैर में घाव होने पर रोगी को तत्काल चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। साथ ही घाव वाले स्थान को किसी प्रकार के दबाव से बचाने का प्रयास करना चाहिए।

प्रोफेसर सुरेश कुमार शर्मा ने मधुमेह के रोगियों में इंसुलिन लेने व खाना सही समय पर नहीं खाने से होने वाले हाइपोग्लाइसीमिया शुगर कम होने के लक्षण व बचाव का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि मधुमेह के रोगी में दवाएं लेने की वजह से रक्त में शुगर की मात्रा कम भी हो सकती है। जिससे रोगी को घबराहट, त्वचा में ठंडा लगना, बेहोशी आना आदि शिकायत हो सकती है। ऐसी स्थिति में रोगी को तत्काल खाना या थोड़ी मात्रा में चीनी का सेवन कर लेना चाहिए। जिससे रक्त में शुगर को कम होने से बचाया जा सके।

मेडिसिन विभाग की डॉ.बिराक्ता ने मधुमेह के रोगी में होने वाले इन्फेक्शन की जानकारी दी। नर्सिंग ट्यूटर जैसी संजीवनी व डाइबिटीज एजुकेटर रविन विश्नोई ने शुगर बढ़ने से होने वाले हृदय रोगों के बचाव व उपचार के बारे में बताया।