आप भी देहरादून के बीचो बीच जेल में बैठ कर खाने का लुत्फ़ उठा सकते हैं

0
1253

उत्तराखंड भी अब किसी भी मामले में मेट्रो शहरों से कम नही है चाहे वो फैशन हो, यहां के युवाओं का स्टाईल ,या फिर यहां के रेस्तरां हो।  आज हम अपनी कहानी में देहरादून के कुछ ऐसे फूड आउटलेटों की बात करेंगे जो युवाओं के बीच तो लोकप्रिय है ही, इसके थीम्स इतने हट के हैं कि लगभग हर उम्र के लोग इन रेस्टोरेन्ट की तरफ आकर्षित होते हैं।

मैरीगोल्ड कैफे
मैरीगोल्ड कैफे

अगर आप फूड लवर हैं तो आप कैरवान गांव स्थित मैरीगोल्ड कैफे जरुर गए होंगे। य़हां हमने कैफे के मालिक और तीन पार्टनर में से एक कुमुद तैमनी से बातचीत की। रेस्टोरेंट के इंटिरीयर के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि वो अपने आउटलेट के इंटिरीयर को ऐसे डिजाईन करते हैं कि उनके कस्टमर उस एंबिऐंस में आराम से बैठकर खाने पीने के साथ आस पास के वातावरण का लुत्फ उठा सके। वो बताती हैं कि “हमने अपना रेस्टोरेंट किसी प्रोफेशनल की मदद से नहीं बल्कि खुद डिजाइन किया है और बहुत ही बारीकियों से तैयार किया है जिससे वहां आने वाला हर कस्टमर कैफे में एक एक पल को इंज्वाय कर सके।” कुमुद बताती हैं कि वो खाने के साथ साथ अपने कस्टमर के साथ बराबर जुड़ी रहती हैं जिसकी मदद से वह अपने कैफे की कमियों को जान सके और उसपर काम कर सके। उनका मानना है कि अपना कैफे खुद डिजाइन करने की वजह से उसमें पर्सनल टच है और लोगों को भी यह काफी पसंद आता है। इसी वजह से यह शहर के बाकी सभी आउटलेट से अलग है और शायद यही वजह है कि आने वाले लोग हमारे खाने के साथ साथ हमारे इंटिरीयर की भी तारीफ करते हैं।इस कैफे का फर्नीचर हरे रंग का है जो थीम का हिस्सा है और कैफे की खूबसूरती पर चार चांद लगाता है। तो अगर आप यहां नहीं गए तो जाइए और इनके अलग अलग तरह के सैंडविच,पास्ता और मोमो जरुर ट्राई करें।

 

इसके बाद बात करते हैं शहर के ही एक और फेमस “द जेल कैफे” की। जी हां किसी खाने की जगह के लिये ये नाम कुछ अटपटा ज़रूर लगता है लेकिन कैफे के मालिक प्रियंक माहेश्वरी बताते हैं कि जेल की थीम लेने का मुख्य कारण था देहरादून में मेट्रो शहरों की तरह थीम पर आधारित रेस्टोरेंट की कमी। वो बताते हैं कि देहरादून में यह पहला इस तरीके का कैफे है और शायद आस पास के शहरों में भी ऐसा कोई रेस्टोरेंट नहीं है। आजकल लोग इस तरह के कांसेप्ट को तो पसंद करते ही है साथ में अच्छा खाना भी हमारी खास बात है। यहां तक की कुछ कस्टमर यहां सिर्फ इसलिए आते हैं क्योंकि उन्हें थीम अच्छी लगती है और वो वहां कि फोटो खींच के औरों को भी दिखाते हैं। हालांकि प्रियंक ने बताया कि कैफे का फर्नीचर बहुत ज्यादा आरामदायक नहीं है क्योंकि वो कैफे के थीम के साथ मेल नही खाता लेकिन फिर भी कोई यह नहीं कह सकता कि हमारा फर्नीचर ठीक नही है।अगर आप अब तक यहां नहीं गए तो एक बार जाएं और इनका इंटीरीयर खुद देखे।

स्ट्रिंगस एेंड बाॅउल
स्ट्रिंगस एेंड बाॅउल

अगला आउटलेट है ओल्ड मसूरी रोड स्थित स्ट्रींग एंड बाउल कैफे जिसके मालिक रोहित जोशी पहले एक फेमस बैंड स्वास्तिक के गिटारिस्ट थे। उनसे थीम के बारे में पूछने में उन्होंने बताया कि आजकल थीम लोगों के लिए महत्तवपूर्ण है क्योंकि थीम के जरिए लोग खुद को माहौल से कनेक्ट करते हैं। उनके हिसाब से थीम का होना जरुरी है लेकिन खाने की क्वालिटी भी बहुत जरुरी है क्योंकि लोग थीम देखने एक बार आते हैं लेकिन खाना ही एक कैफे में लोगों को बार बार ले जाता है। उनके मुताबिक हर किसी का माइंडसेट अलग होता इसलिए कस्टमर अपना समय एक थीम और अच्छे खाने के साथ बिताना चाहते हैं। रोहित बताते है कि खुद एक म्यूजिकल बैकग्राउंड से होने की वजह से उन्होंने अपने कैफे को म्यूजिकल थीम में तैयार किया है जिसमें हम लाईव म्यूजिक को प्रमोट कर रहे क्योंकि देहरादून में टैलेंट की कमी नहीं है। कैफे में आने वाले कस्टमर हमारे थीम से तो इंप्रेस होता ही हैं साथ में हमारे लाइव म्यूजिक का आनंद भी वो पूरी तरह से लेते हैं। रोहित के मुताबिक उनका कैफे देहरादून का एक ऐसा कैफे है जहां हर समय खाने के साथ लाइव म्यूजिक सुनने को मिलता है। वो बताते हैं कि उन्होंने अपने कैफे को राॅ फील देने के लिए एकदम अलग फर्नीचर चुना है।इस कैफे की खास बात है यहां का लाइव म्यूजिक और अगर आप यहां नही गए तो एक बार जरुर जाएं और यहां के स्पेनिश और कार्न सेंडविच,ड्रैगन आफ फायर,और तरह तरह के माकटेल इंज्वाय करें।

तोअगली बार आप शहर में हो और कहीं कुछ मस्ती के पल बिताने का मूड बनें तो अपने दोस्तों औऱ परिवार के साथ इन जगहों का रुख ज़रूर करें।