राज्य के सभी महाविद्यालयों में दाखिले को लेकर इस बार छात्रों को काफी जद्दोजहद से गुजरना होगा। साल 2014 में हाईकोर्ट के अनुमन्य सीट्स पर दाखिले के अंतरिम आदेशों ने पहले ही राज्य के छात्रों के लिए कॉलेजों की राह मुश्किल की दी थी, उस पर मेरिट से दाखिला होने के कारण इस बार भी छात्रों के लिए कॉलेजों में दाखिला हासिल करना टेढ़ी खीर साबित होगा।
शहर के सभी डिग्री कॉलेजों में मिशन एडमिशन स्टार्ट हो चुका है। डीएवी, डीबीएस, एकेपी और एसजीआरआर पीजी कॉलेज में इस साल एडमिशन की राह बीते साल की तुलना में ज्यादा मुश्किल देखाई दे रही है। दरअसल तीन साल पहले हाईकोर्ट के अनुमन्य सीटों पर दाखिले के आदेश ने जहां डीएवी जैसे कॉलेज के लिए छात्र संख्या पर लगाम लगाने की चुनौती खड़ी की, वहीं अनुमन्य सीटों पर प्रवेश होने के छात्र-छात्राओं के लिए सीटों का संकट भी ला दिया। अनुमन्य सीटों और मेरिट के आधार पर दाखिला होने के कारण बीते साल भी संस्थानों में मेरिट का ग्राफ काफी हाई रहा था। जहां डीबीएस जैसे कॉलेज में पहले ही करीब 70 प्रतिशत से ऊपर कटऑफ रुकती है। इस बार अकेले बीए पाठ्क्रम में मेरिट 98 से शुरू होकर 73. 60 प्रतिशत पर आकर रूकी। एमकेपी और एसजीआरआर में भी कटऑफ हर साल अपने पिछले रिकॉर्ड तोड़ रही है।
एसजीआरआर पीजी कॉलेज के प्राचार्य प्रो. विनय आनंद बोड़ाई ने बताया कि, ‘पिछले साल जहां 79 प्रतिशत मेरिट रही थी वहीं इस साल यह करीब 80 प्रतिशत को भी पार करने की संभावना है। लगातार बोर्ड का रिजल्ट सुधर रहा है। ऐसे में अनुमन्य सीटों पर दाखिले के लिए प्रतिस्पर्धा में भी इजाफा हो रहा है। इस स्थिति में 60 प्रतिशत वाले में भी दाखिले की दौड़ से बाहर हो जाएंगे।’
राजधानी को नए कॉलेजों की दरकार
राज्य के सबसे बड़े कॉलेज डीएवी पीजी कॉलेज के प्राचार्य का कहना है कि हाई कोर्ट के फैसले से पहले संस्थान में 35 हजार छात्र संख्या थी, जबकि कॉलेज में केवल 12,450 सीट ही अनुमन्य हैं। यही स्थिति बाकी कॉलेजों की भी थी। छात्र संख्या का बढ़ने का बड़ा कारण यह भी है कि यहां उच्च शिक्षा संस्थानों की कमी है। सरकार को चाहिए कि राजधानी में नए कॉलेज खोले, इससे मेरिट में न आने वाले छात्रों के पास किसी अन्य संस्थान में दाखिले का विकल्प होगा। अभी जो मेरिट में नहीं आ पाते वे मजबूरन दूरस्थ शिक्षा का सहारा लेकर अपनी शिक्षा आगे बढ़ा रहे हैं।