आपदा पीड़ित ग्रामीणों को नहीं मिली सरकार से मदद

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उत्तरकाशी। वर्ष 2013 की आपदा में अपने आशियाने गवां चुके कफनौल गांव के अनुसूचित जाति के 20 परिवार चार साल से दर-दर भटक रहे है। इन्हें विस्थापन का आश्वासन तो दिया गया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। ये परिवार छानियों में रह रहे हैं सिर छिपाने के लिए घर की मांग कर रहे हैं।

डीएम कार्यालय में पहुंचे कफनौल गांव के ग्रामीणों ने अपनी समस्या डीएम डॉ. आशीष चौहान को सुनाई और उनके माध्यम से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ज्ञापन भेजा। कार्यालय पहुंचे ग्रामीण राजूलाल ने बताया कि कफनौल गांव में अनुसूचित जाति के बीस परिवार रहते हैं। जून 2013 दैवीय आपदा से उनके घर जमींदोज हो गए। मकान क्षतिग्रस्त होने से कुछ परिवार किराए का कमरा लेकर इधर-उधर रह रहे हैं, तो कुछ परिवार गांव के आसपास छानियों में अपना जीवन बिताने को मजबूर हैं। दैवीय आपदा के दौरान शासन-प्रशासन द्वारा उनके गांव का निरीक्षण हुआ था, लेकिन आज तक शासन-प्राशासन से उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला। गांव में जगह-जगह भू-धसाव हो रहा है।

वर्ष 2014 में भूगर्भीय वैज्ञानिकों की टीम ने गांव का सर्वे किया था, जिसमें जांच अधिकारियों ने गांव को खतरे की जद में बताया था। तब से लेकर आज तक गांव के ग्रामीण शासन-प्रशासन से मुआवजा और विस्थापन की मांग करते आ रहे हैं लेकिन आज तक ग्रामीणों को शासन-प्रशासन स्तर पर न तो मुआवजा मिला और न ही गांव का विस्थापन हुआ। समस्या के बारे में ग्रामीण कई बार शासन-प्रशासन स्तर पर लिखित और मौखिक रूप से गुहार लगा चुके हैं, उसके बावजूद भी शासन-प्रशासन कुंभकरण की नींद सो रहा है।