उत्तराखंड में मौसम आम जन जीवन पर तो भरी पड़ ही रहा है साथ ही कुछ खास लोगों को भी गुरुवार को मौसम की मार का सामना करना पड़ा। गुरुवार को उत्तरकाशी जिले के धराली कस्बे में खीर गंगा से हुई तबाही का जायजा लेकर लौट रहे जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान और करीब सात सौ कांवड़ यात्री जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर डबराणी नाम के कस्बे में फंस गए। जबरदस्त भूस्खलन के चलते गंगोत्री हाईवे फिर बंद हो गया। शाम करीब सात बजे बंद हुआ मार्ग शुक्रवार सुबह 10 बजे खोला जा सका। प्रशासन ने यात्रियों के खाने-पीने की व्यवस्था तो कर दी, लेकिन सभी को रात अपने वाहनों में ही बितानी पड़ी।
जिलाधिकारी डॉ. चौहान ने बताया कि “शाम करीब पांच बजे धराली से लौटते हुए जब डबराणी पहुंचे तो चट्टान दरकने से मार्ग बंद हो गए। इस पर लोक निर्माण विभाग और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के जवानों ने मलबा हटाने का प्रयास किया, लेकिन चट्टान दरकने का सिलसिला जारी रहा। इसी के साथ मौसम खराब होने के कारण मलबा हटाना संभव नहीं हो पाया। रात को एक बार फिर प्रयास किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली।” अंधेरा गहराने के बाद काम रोक दिया गया। रात दो बजे जिलाधिकारी पास के सुक्की गांव चले गए। सुबह चार बजे एक बार फिर मलबा साफ करना शुरू किया गया और करीब छह घंटे बाद यातायात सुचारु किया जा सका।
भूस्खलन के चलते प्रदेश में 90 मार्ग बंद हैं। मार्गों पर मलबा आने का सिलसिला जारी है। देहरादून जिले में चकराता -कालसी मार्ग भी मलबा आने के कारण करीब नौ घंटे बाधित रहा। हालांकि केदारनाथ और बदरीनाथ हाईवे पर यातायात सुचारु रहा। जबकि यमुनोत्री मार्ग दो स्थानों पर अब भी बंद है। दूसरी ओर बीआरओ ने जोशीमठ-मलारी मार्ग पर भी आवाजाही बहाल कर दी। चीन सीमा को जोडऩे वाला यह मार्ग गुरुवार को मलबा आने से बंद हो गया था।