हरिद्वार। जिलाधिकारी दीपक रावत की अध्यक्षता में मुख्य चिकित्सा अधिकारी अशोक कुमार गैरोला व स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रसव पूर्व लिंग चयन निषेध अधिनियम कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्याशाला में स्वास्थ्य विभाग की ओर से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं के लक्ष्य प्राप्ति मेें निजी क्षेत्र के महिला रोग विशेषज्ञों, रेडियोलोजिस्ट से प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण करने पर पीसीपीएनडीटी एक्ट का निषेध न करने के साथ लिंग परीक्षण व परीक्षण उपरान्त कन्या भू्रण हत्या जैसे गम्भीर अपराध को खत्म करने की कुरीतियों पर चर्चा की गयी। विशेषज्ञों ने भी कार्यशाला में अपने सुझाव जिलाधिकारी महोदय के समक्ष रखे।
जिलाधिकारी ने कहा कि समाज में व्याप्त मान्यताओं और अंधविश्वासों के कारण बच्चियों को जन्म से पहले मार दिये जाने की घटनाऐं सामने आती हैं। जबकि आज बेटे ही घर को नहीं चलाते बेटियां भी कमाती हैं, परिवार का पालन करती हैं, माता-पिता की देखभाल करती हैं इसलिए केवल बेटे को महत्व देना बेटों के जन्म की ही इच्छा रखना एक सामाजिक कुरीति मात्र है।
उन्होंने महिला चिकित्सकों से अपील करते हुए कहा कि अधिकांशतः गायनोकोलजिस्ट महिलायें ही हैं। यदि कोई परिवार या माता-पिता आपके केंद्र पर लिंग परीक्षण कराने या कन्या भू्रण गर्भपात कराने के लिए आये तो ऐसे लोगों को जागरूक बनायें। उन्हें 1994 में स्थापित पीसीपीएनडीटी एक्ट में दण्ड प्रावधानों की जानकारी देकर बेटी बचाओ अभियान और सामाजिक विकास में अपनी भूमिका निभायें।
जिलाधिकारी ने कहा कि सभी रेडियोलोजिस्ट चिकित्सक अपने डायग्नोस्टिक केंद्रों पर एक्ट के निर्धारित मानकों के अनुसार ओपीडी, एएनसी रजिस्टर, रैफरेल डिटेल, पब्लिक इनर्फोमेशन बोर्ड, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, कर्मचारियों व उपकरण आदि की सूचना, केंद्र पर अवश्य रखें। कार्यशाला में सीएमओ अशोक कुमार गैरोला, नोडल आॅफिसर पीसीपीएनडीटी डाॅ. एच.डी. शाक्य, विनोद कुमार, विधिक सलाहाकार फरमूद अली सहित रूड़की, हरिद्वार, लक्सर, मंगलौर आदि क्षेत्र से आये डायग्नोस्टिक केंद्र संचालक व चिकित्सक उपस्थित रहे।