देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून जो अन्य शहरों की तुलना में भले ही साफ-सूथरी है पर जनसंख्या घनत्व के साथ यहां कूड़े कचरे का निस्तारण अपेक्षित रूप से नहीं हो रहा है। जिसका खुलासा गति फाउंडेशन नामक एक संगठन ने किया है। केन्द्र सरकार एवं शहरी कार्य कमंत्रालय द्वारा स्वच्छ सर्वेक्षण की शुरूआत 2015 में स्वच्छ भारत अभियान के माध्यम से की गई थी।
गति फांउंडेशन द्वारा इस वर्ष 4 जनवरी से स्वच्छ सर्वेक्षण चलाया गया था जिस पर 2019 की योजनाओं और कार्यप्रणाली पर चर्चा की गई है। गति फाउंडेशन के निदेशक एवं 108 के पूर्व सीईओ अनूप नौटियाल मानते हैं कि इस वर्ष स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए 5 हजार अंक निर्धारित किए गए हैं। जिनमें सेवाओं में सुधार, सीधा निरीक्षण एवं जनभागीदारी शामिल है। इस बार नया मानक प्रारंभ किया गया है वह है थर्ड पार्टी सर्टिफिकेशन। सभी चार मानकों में प्रत्येक के लिए 1250 अंक निर्धारित किए गए हैं। अपने फाउंडेशन द्वारा किए गए शोध में गति फाउंडेशन ने निष्कर्ष निकाला है कि स्वच्छ सर्वेक्षण के पिछले दो संस्करणों में देहरादून अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाया है। लेकिन 2017 की तुलना में देहरादून ने 2018 में अपनी रैकिंग सुधारी है।
जहां स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 में देहरादून को 316वां स्थान मिला था वहीं 2018 में 297वां स्थान है। गति फाउंडेशन के पालिसी एनालिस्ट ऋषभ श्रीवास्तव मानते हैं कि स्वच्छ सर्वेक्षण स्थानीय निकायों को कार्य प्रणाली में सुधार का बड़ा अवसर देता है। उनका कहना है कि यह सुधार जारी रहते हैंतो हम अपनी स्थिति और महत्वपूर्ण कर लेंगे। अनूप नौटियाल एवं ऋषभ श्रीवास्तव का कहना है कि देहरादून थोड़ी सक्रियता और बरतें तो उसकी रैंकिंग में सधार होगा, जिसका लाभ पूरे प्रदेश को मिलेगा।