दून प्रेमी इन लोगों ने अपने प्रयास से प्रदूषण को किया “चक”

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देहरादून और मसूरी की हरी भरी वादियों में जिन लोगों ने समय बिताया है उन्हें इन इलाकों के मौजूदा हालात देखकर निराशा सी होती है। कुछ ऐसा ही हुआ व्हेल्म बॉयज़ स्कूल में पढ़ चुके छात्र वेद कृष्णा के साथ। वेद फैजाबाद में यश पेपर के नाम से कागज़ का कारोबार करते हैं। प्लास्टिक,थर्माकॉल जैसे प्रदूषण फैलाने वाले पदार्थों के आगे अपना प्रकृतिक रूप खोते देहरादून-मसूरी को देखकर कर वेद, उनके दोस्त सुमंत और सुमंत की टीचर रह चुकी सुजाता पॉल मालिया ने इसके लिये कुछ करने का फैसला किया।

इन तीनों की इस सोच ने जन्म दिया “चक” (अंग्रेजी भाषा में ‘थ्रो-अवे’) को। इसके तहत वेद ने बायो-डीग्रेडेबल पैकैजिंग मैटिरियल बनाने का काम शुरू किया जो फेंकने पर पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचायेगा जैसे कि थर्माकॉल और प्लास्टिक से होता है।

इसके लिये वेद ने गन्ने का जूस निकाल लेने के बाद बचने वाले भूसे (जिसे अंग्रेजी में bagasse कहते हैं) का प्रयोग किया। चक के उत्पाद बायो-डीग्रेडेबल किचनवेयर हैं जैसे कि प्लेटें, बर्तन, कटोरियां, ट्रे आदि। इन बर्तनों में खाना 72 घंटों के बाद भी यह बर्तन अपना आकार नही खोते बल्कि ये फ्रीज, माइक्रो-वेव अौर अवन आदि में भी रखे जा सकते हैं।

अपने उत्पाद को औऱ लोकप्रिय बनाने के लिये वेद ने लेगो-ब्रिक डिजाइन का प्रयोग किया जिसके चलते ये सभी उत्पाद एक दूसरे में ठीक तरह से फिट हो जाते है। सुजाता पॉल बताती है कि, “97-98 में मैने सुमंत पाई को पढ़ाया था और सोशल मीडिया के ज़रिये हम लोग संपर्क में रहे। मेरी पैदाइयश यहीं की है और इसलिये पहाड़ों और नदियों से बचपन से ही लगाव रहा है। सुमंत को मेरे इस लगाव के बारे में पता था इसलिये उसने मुझसे संपर्क किया और में साथ आ गई।”

आज सुजाता पूरे उत्तराखंड में इन उत्पादों की मार्केटिंग देखती है हो तो सुमंत कंपनी का मार्केटिंग हेङ है। उत्पादों की पहली खेप सितंबर 2017  में आ गई थी, लेकिन बाज़ार में ये नवंबर से मिलना शुरू हो गई और तब से ये धीरे-धीरे बाज़ार में अपनी जगह बना रहे हैं।

सुजाता बताती हैं कि शुरुआत में कुछ दिक्कतें आई परन्तु आम जनता को यह भाया। इन उत्पादों पर 12% का जी. एस. टी. है जिसे सरकार को हटाना चाहिए । कम मार्जिन होने के कारण उन्हें थोक विक्रेताओं से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। “लेकिन आज शहर के कई नामी डिपार्टमेंटस स्टोर और फूड ज्वाइंट से इन्हें लगातार ऑर्डर मिलने लगे हैं। इसके साथ साथ इंद्रेश अस्पताल औऱ मधुबन होटल जैसे संस्थानों में भी “चक” के उत्पादों की डिमांड बढ़ रही है।”

निजि क्ंपनियों के साथ-साथ अब इनके उत्पादों को सरकारी दफ्तरों में भी जगह मिल रही है। इस साल होने वाली चार धाम यात्रा में वन विभाग और गढ़वाल मंडल विकास निगम ने ‘चक’ के उत्पादों का इस्तेमाल करने का मन बनाया है।

फिलहाल कंपनी बाज़ार में  नौ तरह के उत्पाद लाई है:

  • चार और पांच भागों वाली खाने की दो प्लेटें
  • 7/9/11 इंच की खाने की तीन प्लेटें
  • 180/250 मि.ली. माप वाली कटोरियां
  • बड़े जगहों पर काम आने वाले 500/750 मि.ली. के कंटेनर शामिल हैं।
  • इन सभी उत्पादों के दाम 1.50-7.50 पैसे के बीच में है।

आज “चक” पर्यावरण बचाने में हो रहे सार्थक प्रयासों का पर्याय बन गया है और अगर आप भी धरती को प्रदूषण मुक्त बनाने का एक विकल्प तलाश कर रहे हैं तो अब आपकी तलाश खत्म।