तीर्थनगरी मे नशा मुक्ति अभियान बेअसर

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ऋषिकेश। नशा हमारी युवा पीढ़ी को अंदर से खोखला करता जा रहा है। स्कूल से लेकर कॉलेज जाने वाले छात्र आज नशे के चपेट में आ चुके हैं। तीर्थ नगरी में नशे के बढ़ते कारोबार पर लगाम लगाने के प्रशासन के सभी हथकंडे भी फेल होते दिखाई दे रहे हैं। आलम यह है कि 100 मीटर के दायरे के नियम को ठेंगा दिखाते हुए स्कूलों के पास बनी दुकानों में स्कूली छात्र खुलेआम धुएं के छल्ले उड़ाते दिखाई दे रहे हैं।
पुलिस प्रशासन एवं सामाजिक संस्थाओं की और से समय-समय पर इसके लिए किए जा रहे प्रयास अब तक नाकाफी ही नजर आ रहे हैं। हालात यह हैं कि स्कूल खुलने के साथ ही सिगरेट और तंबाकू की दुकानों पर कम उम्र के बच्चे खुले आम अनका सेवन करते दिखाई दे रहे हैं। सरकार भले ही सार्वजनिक स्थानो पर धूम्रपान को लेकर कड़े कदम उठा रही हो लेकिन इस देवभूमि मे कानून की परवाह किसे है। बात जब स्कूल-कॉलेज के छात्र-छात्राओं की हो तो तमाम कानून फिर बैमानी से लगने लगते हैं। नगर के दो प्रमुख इंटर कॉलेज के छात्रों के साथ कदमताल करते हुए अब शहर के कान्वेंट स्कूलों के बिगड़ेल शहजादों ने भी स्कूलो से बंक मारकर सार्वजनिक स्थानों के साथ गंगा तटो पर सिगरेट फूंकना शुरू कर दिया है। हैरत की बात यह है कि इनमें पकड़े जाने पर शिक्षको और अभिभावकों का कोई खोफ देखने को मिल रहा है। नगर के विभिन्न क्षेत्रों में कंधो पर बैग लटकाकर हो हल्ला मचाना इनका रोज का शगल हो गया है। दुर्भाग्यजनक बात यह भी है कि घर पर अभिभावक और स्कूलों में शिक्षक दोनों ही इन्हें सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करने मे नाकाम साबित हो रहे हैं। इन सबके बीच कड़वा सच यह भी है कि छात्र जीवन में सिगरेट का लगाया गया एक कश ही अधिकांश मामलो में उसे नशे की अंधी दुनिया की ओर धकेल देता है। यहांं का प्रबुद्व समाज भी छात्रों में धुम्रपान के प्रति बढ़ती लत को लेकर बेहद चितिंत है।

स्कूल कॉलेज के बाहर खुलकर खुलकर बिक रहा है धीमा जहर
उत्तराखंड सरकार प्रदेश में बढ़ रहे कैंसर रोगियों के प्रति संवेदनहीन बनी हुई है। इसकी रोकथाम के दावे भी महज हवा हवाई नजर आ रहे हैं। जबकि देश के अन्य राज्यों की तरह ही पिछले कुछ वर्षों में उत्तराखंड में भी कैंसर के रोगियों में जबरदस्त वृद्धि हुई है। प्रदेश में तंबाकू, सिगरेट, पान मसाला आदि को लेकर सरकार का रुख स्पष्ट नहीं है। स्कूल कॉलेज के बाहर सरकार की गाईडलाईन मे कैंसर को बढ़ावा देने वाले इन धीमे जहर को प्रतिबंधित किए जाने के बावजूद इसपर जिम्मेदार विभाग एक्शन लेने को तैयार नही है।

क्या कहते हैं अधिकारी
नगर कोतवाल प्रवीण सिंह कोश्यारी से जब इस संबंध में बात की तो उन्होंने बताया कि पुलिस द्वारा नशा विरोधी अभियान पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में लगातार चलाया जा रहा है। स्कूलों के बाहर भी पुलिसकर्मी तैनात हैं। लेकिन उसके बावजूद भी छात्र व लड़के इस का सेवन कर रहे हैं। जिनके विरुद्ध लगातार छापेमारी की कार्रवाई भी की जा रही है। उन्होंने कहा कि सर्वाधिक इस नशे के शिकार युवा लड़के चंद्रेश्वर नगर व शांति नगर मलिन बस्तियों में हो रहे हैं। जिनके विरुद्ध कई बार नरकोटिक्स की कार्रवाई भी की गई और आधा दर्जन से अधिक इस धंधे में लिप्त लोगों को जेल भी भेजा गया है। इसी के साथ नशा मुक्ति अभियान पुलिस का लगातार जारी है।

100 मीटर के दायरे में बिक्री बैन
स्कूल बोर्ड नियमों की बात की जाए तो स्कूल के 100 मीटर के दायरे में पान, बीड़ी आदि की बिक्री पूरी तरह से बैन हैं। लेकिन बोर्ड के इस नियम की धज्जियां भी खुलेआम उड़ाई जा रही हैं। स्कूलों से महज 10 से 15 मीटर दूरी पर ही नशीले उत्पादों की बिक्री होते आसानी से देखी जा सकती है।