उत्तराखंड विस चुनाव-2022: शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने तोड़ा मिथक, जीत के साथ रचा इतिहास

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उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे एक बार फिर इतिहास रचने की ओर बढ़ रहा है। नतीजों का यह इतिहास भाजपा फिर से बनाने वाली है। साथ ही भाजपा सरकार के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने भी एक इतिहास रच दिया है। प्रदेश का शिक्षा मंत्री पहली बार अपनी जीत को बरकरार रखने में कामयाब हुआ है।

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे इतिहास रचते हुए गदरपुर से चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के प्रेमानंद महाजन को हराया है। अरविंद पांडे को 50 हजार से ज्यादा वोट मिले हैं, जबकि प्रेमानंद महाजन को 45 हजार से ज्यादा वोट प्राप्त हुए हैं। इस सीट पर मुकाबला भाजपा कांग्रेस के बीच ही रहा।

चुनाव जीतने के बाद शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने कहा, ‘क्षेत्र की जनता ने मुझ पर फिर से विश्वास जताया है, इसके लिए मैं उनका शुक्रगुजार हूं। साथ ही हमारे क्षेत्र की जनता शिक्षा मंत्री के चुनाव नहीं जीतने के मिथक को तोड़ दिया है। गदरपुर के लोगों ने बताया दिया है कि यदि शिक्षा मंत्री काम करेंगे तो उन्हें जितायेंगे भी।‘

दरअसल, उत्तराखंड राज्य का गठन होने से अब तक प्रदेश का कोई भी शिक्षा मंत्री दोबारा चुनाव नहीं जीत पाया है। इसलिए इस बार शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय के पास इस मिथक को तोड़ने का मौका था। अब वे ऐसा करने में कामयाब हो गए हैं। साथ ही उनका नाम इतिहास में भी दर्ज हो गया है।

इस बार इनका मुकाबला बसपा से दो बार विधायक रह चुके प्रेमानंद महाजन से था। महाजन 2002 और 2007 का विधानसभा चुनाव पंतनगर-गदरपुर विधानसभा सीट से बसपा टिकट पर जीते हैं। 2013 महाजन बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वे बंगाली समुदाय से आते हैं। गदरपुर सीट पर बंगाली समुदाय का अच्छा ख़ास वोट है। इसलिए कांग्रेस से इस बार यहां प्रेमानंद महाजन पर दांव खेला था, लेकिन उनका यह दांव भी नहीं चल पाया।

पिछला चुनाव भी अरविंद पांडेय इसी सीट से लड़े थे। यह विधानसभा सीट 2008 के परिसीमन के बाद बना था और 2012 में इस सीट पर पहला चुनाव हुआ। यहां के पहले चुनाव में अरविंद पांडेय ने निर्दलीय जरनैल सिंह को 5000 से ज्यादा वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी। पिछले चुनाव में इन्होंने कांग्रेस के राजेंद्र पाल सिंह को करीब 15 हजार वोटों से हराया था। उस चुनाव में अरविंद पांडेय को करीब 46 फीसदी (41530 मत) वोट मिले थे। कांग्रेस के राजेंद्र पाल को केवल 28 फीसदी (27424) मत मिले थे। बसपा के जरनैल सिंह काली करीब 26000 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे।

अरविंद पांडेय पिछले विधानसभा चुनाव में जीत का चौका लगा चुके हैं। अब उन्होंने लगातार पांचवीं जीत दर्ज किया है। वे दो बार बाजपुर से तो दो बार गदरपुर से चुनाव जीत चुके थे। ग़दर से उन्होंने जीत की हैट्रिक भी लगा दिया।

विधानसभा चुनाव में अरविंद पांडेय अब तक अजेय रहे हैं। इन्होंने पहला और दूसरा विधानसभा चुनाव बाजपुर से लड़ा था। दोनों ही बार इन्होंने बड़े अंतर से अपने प्रतिद्वंदियों को चुनावी पटखनी दिया था। 2012 में बाजपुर विधानसभा सीट आरक्षित होने के कारण ये गदरपुर से चुनाव लड़ा और यहां भी अभी तक विजयी पताका लहरा रहे हैं।

अनुमान के मुताबिक गदरपुर में लगभग 1.43 लाख मतदाता हैं। इनमें सिख मतदाता लगभग 50,000, मुस्लिम 30,000, बंगाली 27,000 और 15,000 के करीब पहाड़ी मतदाता हैं। इस बार इस सीट पर 75 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ था। करीब 1 लाख 8 हजार वोट पड़े थे। चुनाव से पहले उन्होंने कहा था कि यहां भाजपा भारी बहुमत से चुनाव जीत रही है। उनका दावा सही साबित हुआ। मिथक पर उन्होंने तब कहा था, ‘अब तक तो ऐसा मिथक रहा है। लेकिन इस बार मैं इस मिथक को तोड़ रहा हूं। इस बार रिकॉर्ड बनेगा।’ देखिये, वाकई में उन्होंने जीत दर्ज कर रिकॉर्ड बना दिया।

यहां मिथक था कि उत्तराखंड में जो भी विधायक शिक्षा मंत्री बने, वो दोबारा विधानसभा नहीं पहुंच पाए। 2000 में प्रदेश की पहली सरकार में तीरथ सिंह रावत शिक्षा मंत्री बने। वे 2002 का चुनाव पौड़ी से हार गए। उन्हें कांग्रेस के नरेंद्र सिंह भंडारी ने हराया। भंडारी को इसका इनाम तत्कालीन मुख्यमंत्री एंडी तिवारी ने शिक्षा मंत्री बनाकर दिया। वे 2007 का विधानसभा चुनाव पौड़ी से ही एक निर्दलीय उम्मीदवार यशपाल बेनाम से हार गए। इस हार के साथ ही उनका राजनीतिक कैरियर भी खत्म हो गया।

2007 में भाजपा सत्ता में आई तो पांच साल के कार्यकाल में गोविंद सिंह बिष्ट और खजान दास दो शिक्षा मंत्री बने। दोनों ही शिक्षा मंत्री 2012 के विधानसभा चुनाव बाद विधायक नहीं बन पाए। गोविंद सिंह विष्ट लालकुआं सीट से हार गए तो खजान दास को पार्टी ने टिकट ही नहीं दिया। फिर 2012 में कांग्रेस सत्ता में वापसी की। देवप्रयाग से निर्दलीय विधायक जीते मंत्री प्रसाद नैथानी शिक्षा मंत्री बनाया गया। वह पूरे पांच साल शिक्षा मंत्री रहे, लेकिन जब 2017 में कांग्रेस ने उन्हें टिकट देकर देवप्रयाग से फिर से मैदान में उतरा तो वे चुनाव हार गए। उन्हें पहली बार चुनाव लड़ रहे युवा विनोद कंडारी ने हरा दिया था। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने इस चुनौतीपूर्ण चुनाव को स्वीकार किया और जीत दर्ज किया।