आठ हजार करोड़ का फर्जीवाड़ा, राज्य कर विभाग ने किया खुलासा

0
533
देहरादून,  राज्य कर विभाग ने बड़े फर्जीवाड़ा का खुलासा किया है। सचि‍व वित्‍त अमित नेगी ने बताया कि आयुक्तालय जीएसटी देहरादून की 55 टीमों ने 70 व्यापारिक स्थानों का सर्वेक्षण कर लगभग आठ हजार करोड़ का फर्जीवाड़ा हुआ है। विभाग को कुछ माह से जानकारी मिल रही थी कि राज्य में कुछ लोग जीएसटी के तहत फर्जी तरीके से पंजीयन लेकर के करोड़ों रुपये का कारोबार ई-वे बिल के माध्यम से किया जा रहा है।
गोपनीय जांच करने पर पता चला कि 70 फर्म द्वारा राज्य के भीतर व बाहर दो माह में 8000 करोड़ रुपये के ई-वे बिल बनाए गए हैं। इन 70 में से 34 फर्म दिल्ली से मशीनरी और कंपाउंड दाना की खरीद के बिल बना रहे थे जिनका मूल्य लगभग 1200 सौ करोड़ है। उसके बाद उन फर्मों के आपस में ही खरीद बिक्री के साथ-साथ राज्य के बाहर की फर्मों को भी खरीद बिक्री दिखाई जा रही थी। इस प्रकार देखा जाए तो वे बिल्स की वास्तविक मूल्य तो 1200 सौ करोड़ है जिसमें वे बिल के माध्यम से मूल्यवर्धन करते हुए धनराशि आठ हजार करोड़ तक पहुंच जाती है।
फर्जीवाड़े का दायरा अन्य राज्यों में भी
26 फर्मों के माध्यम से चप्पल की बिक्री अन्य राज्यों आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और महाराष्ट्र को दिखाई जा रही थी। जबकि मौके पर न कोई फर्म पाई गई और ना ही कोई पंजीकृत व्यक्ति। स्पष्ट है कि इस फर्जीवाड़े के दायरा अन्य राज्यों दिल्ली, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और राजस्थान तक फैला हुआ है। जिस के संबंध में जांच अभी जारी है। जांच पूरी करते ही राज्यों को भी रिपोर्ट प्रेषित की जाएगी।
फर्जी तरीके से बनाई गई ई-वे विल में प्रयोग किए गए वाहनों की प्राथमिक जांच पर यह तथ्य प्रकाश में आया कि प्रयोग किए ज्यादातर वाहन पूर्वोत्तर राज्यों में पंजीकृत हैं। कुल 80 लोगों ने 21 मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी का प्रयोग करते हुए दो-दो की साझीदारी में 70 फर्में पंजीकृत की हैं। पंजीयन लेते समय दिए गए विवरण के अनुसार सभी साझीदार हरियाणा या दिल्ली के रहने वाले हैं। जिन्होंने उत्तराखंड में किराए पर व्यापार स्थल दिखाते हुए पंजीयन प्राप्त किया है।
15 दिन से सर्वेक्षण की तैयारियों जुटी थी टीम
विभाग द्वारा की गई अब तक की सबसे बड़ी जांच में राज्य के 12 डिप्टी कमिश्नर 55 असिस्टेंट कमिश्नर 55 राज्य कर अधिकारियों के साथ-साथ मुख्यालय स्तर पर 10 अधिकारियों की एक कोर टीम गठित की गई थी, जो पिछले 15 दिन से लगातार इस सर्वेक्षण की तैयारियों में जुटी हुई थी। कोर टीम में एडिशनल कमिश्नर बिपिन चंद्र, अनिल सिंह एवं डिप्टी कमिश्नर सुनीता पांडे, प्रमोद जोशी, रोहित श्रीवास्तव, असिस्टेंट कमिश्नर रंजीत सिंह नेगी, सुरेश कुमार के साथ-साथ देहरादून एसटीएफ इकाई की टीम सम्मिलित थी।
आयुक्त राज्य कर सौजन्य एवं अमित गुप्ता ज्वाइंट कमिश्नर केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर ने कहा कि उत्तराखंड में इस प्रकार फर्जी तरीके से व्यापार करने वाले व्यापारियों पर केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर विभाग एवं राज्य कर विभाग के प्रवर्तन इकाइयां लगातार नजर रख रही हैं।