मुंबई। मंगलवार को देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा हरी झंडी दिए जाने के बाद ये लगभग तय हो चुका था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी फिल्म के सिनेमाघरों में पंहुचने के रास्ते में अब कोई बाधा नहीं बची है, लेकिन बुद्धवार को चुनाव आयोग ने इस फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की घोषणा कर दी, जिसके बाद अब इस फिल्म का प्रदर्शन टल गया है। ये फिल्म कल, 11 अप्रैल को रिलीज होने जा रही थी। इसी दिन देश के संसदीय चुनावों के लिए पहले चरण का मतदान होना था। इससे पहले फिल्म को 5 अप्रैल को रिलीज करने की घोषणा की गई थी, लेकिन चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट और सेंसर बोर्ड से सार्टिफिकेट न मिल पाने के कारण इसका प्रदर्शन गुरुवार तक के लिए टाल दिया गया था।
चुनाव आयोग ने अपने फैसले में इस फिल्म सहित किसी भी नेता को लेकर बनी बायोपिक फिल्म, डाक्युमेंट्री फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी है। आयोग के फैसले में चुनावों के संपन्न होने तक ये रोक लगाई है। साथ ही चुनाव आयोग ने इन फिल्मों को लेकर एक कमेटी के गठन की घोषणा की है, जो प्रधानमंत्री मोदी पर बनी फिल्म तथा अन्य फिल्मों को लेकर समीक्षा करेगी।
चुनाव आयोग के इस फैसले से फिल्म मोदी की टीम को झटका लगा है, जो गुरुवार को फिल्म को रिलीज करने की तैयारियां कर रही थी। फिल्म की रिलीज पर लगी रोक पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में टीम की ओर से कहा गया है कि फैसले का आकलन करने के बाद ही इस रोक पर कोई प्रतिक्रिया जारी की जाएगी। फिल्म का निर्देशन करने वाले ओमांग कुमार ने इसे निराशाजनक फैसला बताया है। फिल्म में प्रधानमंत्री का रोल करने वाले विवेक ओबेराय की अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है, जबकि फिल्म के निर्माताओं में से एक आनंद पंडित, जो इस फिल्म का देश और दुनिया में वितरण का काम संभाल रहे थे, उनका कहना है कि वे कानून का पालन करेंगे।
मंगलवार को एक तरफ सुप्रीम कोर्ट से इस फिल्म की रिलीज का रास्ता साफ हो गया था, जब कोर्ट ने इस फिल्म पर रोक लगाने की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि जब तक सेंसर बोर्ड से फिल्म को सार्टिफिकेट नहीं मिल जाता, तब तक फिल्म पर रोक लगाने की याचिका का कोई आधार नहीं बनता। उसके बाद सेंसर बोर्ड की ओर से इस फिल्म को यू सार्टिफिकेट जारी कर दिया गया। सेंसर बोर्ड पर इस फिल्म को लेकर पक्षपात करने के आरोप भी लगे और राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की ओर से सेंसर बोर्ड के चेयरमैन प्रसून जोशी का त्यागपत्र भी मांगा गया। मनसे का तर्क था कि नियमानुसार, फिल्म के सार्टिफिकेट के लिए 58 दिनों पहले आवेदन देना होता है, जबकि मोदी पर बनी फिल्म को तीन दिन के अंदर ही सेंसर से क्लीयरिंस मिल गई, जिस पर सवाल उठाए गए थे। इस फिल्म को लेकर महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और दिल्ली के उच्च न्यायलयों में भी याचिकाएं दर्ज हुई थीं, जिनमें इस फिल्म की रिलीज को चुनाव आयोग की आचार संहिता का उल्लंघन माना गया था, लेकिन तीनों उच्च न्यायलयों से फिल्म पर रोक लगाने की याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था। उधर, फिल्म के प्रमोशन के दौरान विवेक ओबेराय लगातार आरोप लगा रहे थे कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित कुछ ताकतवर नेता उनकी फिल्म को रिलीज नहीं होने देना चाहते। दिलचस्प बात ये भी है कि पार्टी के सदस्य न होने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी ने विवेक ओबेराय को गुजरात के लिए प्रचार करने वाले स्टारों की टीम का हिस्सा बनाया था।