गजब : बिजली कनेक्शन व मीटर लगे बिना बन रहे बिल

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देहरादून, ऊर्जा निगम के कारनामे एक से बढ़कर एक है। कनेक्शन दिया नहीं, मीटर लगा नहीं और बिल जेनरेट हो गया। यह देख उपभोक्ता हैरान हुआ, क्योंकि साल भर पहले आवेदन करने के बाद भी कनेक्शन नहीं लगा तो बिल कैसे आया। जेई, एसडीओ तक खूब चक्कर काटे। फिर, विद्युत उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच में शिकायत दर्ज कराई तो सुनवाई में पता चला कि विभाग स्तर से मीटर जारी तो हुआ, पर लगाया नहीं गया। मंच के निर्देश पर मीटर लगा और विभाग को आदेश दिए कि मीटर लगने से पूर्व का बिल निरस्त किए गए।
विनोद विहार कॉलोनी ऋषिकेश निवासी सिद्धार्थ मैठाणी ने जून, 2016 में घरेलू कनेक्शन के लिए आवेदन किया था और इस्टीमेट के अनुसार 1400 रुपये की धनराशि भी जमा करा दी थी। एक साल तक वह चक्कर काटते रहे, पर विभाग ने कनेक्शन नहीं दिया। अगस्त, 2017 में उनके घर मीटर रीडर आया, लेकिन मीटर तो लगा ही नहीं था। इसके बाद सिद्धार्थ ने कॉल सेंटर फोन किया तो पता चला कि करीब दो महीने पहले कनेक्शन लग चुका है और 630 रुपये का बिल भी बना हुआ है। मंच में सुनवाई के दौरान उप खंड अधिकारी अमित कुमार भट्ट ने पक्ष रखते हुए कहा कि मीटर लाइनमैन महेंद्र सिंह बिष्ट को दिया था। लाइनमैन ने न तो मीटर लगाया और न ही इस संबंध में जानकारी दी। उससे स्पष्टीकरण तलब किया है।

विभागीय स्तर पर किया गया खेल
मंच ने ऊर्जा निगम से कनेक्शन से पूर्व बिल जारी करने के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी और जेई ने 09 सितम्बर 2017 को मीटर स्थापित करने की बात कही। मंच ने इससे जुड़े कागजात मांगे तो उसमें मीटर लगाने की तिथि 20 सितम्बर थी। सीलिंग में टिप्पणी अंकित थी कि पुराना मीटर खराब होने के कारण नया मीटर लगाया गया, जबकि सीलिंग पर विभागीय कर्मचारी के साथ उपभोक्ता या उसके किसी प्रतिनिधि के हस्ताक्षर तक नहीं थे। मीटर के विवरण वाला कॉलम भी खाली था। वहीं, उपभोक्ता को जारी बिल पर भी मीटर संख्या का उल्लेख नहीं था। मंच ने आदेश में कहा है कि मीटर स्थापित करने की तिथि से ही उपभोक्ता को बिल दिया जाए।

नहीं सुधर रही विभागीय व्यवस्थाएं
कनेक्शन जारी करने में देरी पर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग पिछले आठ सालों में ऊर्जा निगम पर 14 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा चुका है। निगम की हठधर्मिता ऐसी है कि व्यवस्थाओं में सुधार करने के बजाय कई बार जुर्माना माफी की याचिका आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर चुका है। इतना ही नहीं, इस वित्तीय वर्ष में एक माह की भी लंबित कनेक्शन रिपोर्ट आयोग को नहीं दी गई, जबकि हर महीने रिपोर्ट देने का प्रावधान है। हाल ही में आयोग ने ऊर्जा निगम को नोटिस जारी किया है।