हाथी के अवशेष के मामले में नया मोड़, वन्यजीव अपराध की आशंका

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कालागढ़/पौड़ी,  कार्बेट नेशनल पार्क की कालागढ़ रेंज के खटपानी इलाके में 15 दिसम्बर को धारा ब्लाक के कक्ष संख्या 6 व 9 के मिलान पर बड़ा स्रोत पर एक नर हाथी के बच्चे के अवशेष मिले थे, जिस घटना मिलने से वन विभाग में हड़कंप मच गया था।

शनिवार सुबह के समय गश्ती दल जब खटपानी इलाके में गश्त कर रहा था, तो तेज दुर्गंध आई। इसके बाद वहां का दृश्य देख मौके पर मौजूद बीट प्रभारी इंद्रमोहन ध्यानी व अन्य वनकर्मियों के हाथ पांव फूल गए। वहां पर नर हाथी के बच्चे के शव के अवशेष पड़े थे। कर्मियों ने वायरलेस से इसकी सूचना रेंज कार्यालय दी गई व अवशेषो की सुरक्षा के लिए स्टाफ तैनात कर दिया गया। पहले यह सूचना मीडिया से छुपाई गई परंतु जैसे ही घटना फैली तो वन विभाग ने यह कहकर लोगो को भ्रमित किया कि हाथी के एक बच्चे का शव मिला है जो बाघ के हमले में शायद मारा गया हो बीट पर तैनात इंद्रमोहन ध्यानी ने बताया कि यह एक नर हाथी का शव है और इसके आस पास बाघ के स्कैट भी पाए गए है। सूचना उच्च अधिकारियों को दी गई। शव नर हाथी के बच्चे का है। जिसकी आयु 8 से10 वर्ष प्रतीत हो रही है। सभी अंग सुरक्षित है। मृत्यु के कारण का पता पोस्टमार्टम के बाद ही चल पाएगा।

परन्तु पूरे प्रकरण में आश्चर्यजनक मोड़ तब आया जब रामनगर से इस हाथी की फ़ोटो वायरल हुई जिसमें हाथी का शव नहीं, बल्कि उसके अवशेष इधर उधर बिखरे पड़े मिले जिसे देखकर प्रथम दृष्टया यह मामला वन्यजीव अपराध का ज्ञात होता है। खटपानी रेंज में बीते दिनों अज्ञात व्यक्तियों द्वारा वन विभाग के कैमरे तोड़ दिये गए थे जिसके बाद भी खटपानी इलाके में गश्त को तेजी नहीं दी गई ।

कुछ महीने बाद यह दूसरी बड़ी घटना खटपानी इलाके में हुई है जो स्थानीय लोगो व पत्रकारों से इसलिये छुपाई गई क्योंकि इस घटना से विभाग की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगता । शव के अवशेषो को देखकर साफ नजर आता है कि यह लगभग 1 माह पुराने अवशेष है ।

आखिर एक माह तक क्यो नही लगी वन विभाग को कोई खबर
खटपानी इलाके मे हाथ्चे का शव लगभग एक माह तक सड़ता रहा और वन्यजीव उसे अपना भोजन बना गए और वन विभाग के गश्ती दल को इतने दिनों तक कोई खबर तक नही लगी। इससे यह तो साफ प्रतीत होता है कि वनों में गश्त के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है लगभग एक माह बाद जब शनिवार को वनकर्मियों को बदबू आई तो पास जाने पर वहां हाथी के बच्चे की अस्थियां नजर आई। सूचना मिलते ही कार्बेट टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक व अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। मौके पर चिकित्सा दल भी गया। अवशेषों को को ​समेटकर वन विभाग के अधिकारियों ने किसी तरह आनन फानन में पोस्टमार्टम की कार्रवाई को अंजाम देकर उसके सड़े गले अंगो को दफन कर दिया और स्थानीय पत्रकारों से इसे पूर्णतः गोपनीय रखा गया।

वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी ऑफ इंडिया के उत्तराखंड प्रभारी राजेन्द्र अग्रवाल ने इस मामले पर कहा कि, “इस घटना से वन्यजीवों के लिए की जा रही गश्त पर सवाल पैदा हुआ है। कार्बेट टाइगर रिजर्व की दक्षिणी सीमा संवेदनशील है। ऐसे मे एक हाथी की मौत का पता एक माह तक नही चला इसकी जांच होनी चाहिए व गश्त सही से होनी चाहिए।” वाईल्ड लाईफ वैलफेयर फाउंडेशन के प्रवक्ता एसएस सिसौदिया का कहना है, “घटना मे दोषी पाए जाने वाले अधिकारियो व कर्मचारियो को दंडित भी किया जाना चाहिए। पूर्व मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी ने बताया कि भारत में वन्यजीवो की सुरक्षा एक अहम मुददा बन चुका है। हमारी प्राथमिकता भी वन्यजीवो की सुरक्षा है। ऐसे मे कार्बेट पार्क में इस तरह की घटना विभाग की घोर लापरवाही को दर्शाता है। इसकी जांच होनी चाहिए।”

पार्क वार्डन शिवराज चंद का कहना है कि, “इस मामले मे गश्त की जांच कराई जा रही है। वहीं घटनास्थल पर सशस्त्र गश्ती दल तैनात कर दिए गए है। हाथी का पूरा शव सड़ चुका था। मामला लगभग एक माह पुराना प्रतीत हो रहा है। संबधित गश्ती दलो की जवाबदेही की जाएगी।”

सुबह से ही वन विभाग अपने आला अधिकारियों के नेतृत्व में इस सड़े गले शव को ठिकाने लगाने में जुटे हए थे इस घटना को इतना गोपनीय रखा गया कि शाम तक किसी को कोई खबर तक नही लगी परन्त शाम को इस घटना का पता लगते ही पत्रकारों में रोष फैल गया और वन विभाग की खबरों का बहिष्कार करने व इस प्रकरण की जांच की मांग राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से करने की ठानी । इस पर उप प्रभागीय वनाधिकारी कालागढ़ आर के तिवारी ने बताया कि मेरी अनुपस्थिति में कुछ त्रुटियां हुई है इनपर सुधार किया जाएगा व हाथी के इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच की जाएगी।