देहरादून, 108 सेवा के 717 पूर्व कर्मचारियों के लिए कहीं से भी उम्मीद की किरण नजर नहीं आ रही। इन कर्मचारियों ने सीएम के जनता दरबार कार्यक्रम में उनसे मुलाकात करनी चाही। लेकिन, उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। काफी देर तक कर्मचारियों के मान-मनोव्वल पर एक महिला कर्मचारी को सीएम से मिलने दिया गया। हालांकि, कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला।
108 सेवा से निकाले जाने के बाद इन कर्मचारियों के पास रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। बीते दो माह से ये लोग तमाम नेताओं से लेकर मंत्रियों व सीएम के पास तक अपनी बात पहुंचा चुके हैं लेकिन कहीं से कोई राहत नहीं मिल रही। मंगलवार को जब कर्मचारियों को पता चला कि आज सीएम का जनता दरबार लग रहा है तो वे वहां पहुंच गए। हालांकि, अंदर से मिले निर्देशों के बाद इन कर्मचारियों को बाहर ही रोक दिया गया। कर्मचारी सुरक्षा कर्मियों से अंदर जाने की गुहार लगाते रहे। लेकिन, उनकी नहीं सुनी गई। इससे कर्मचारियों में रोष बढ़ने लगा। मामले की नजाकत को देख चंपावत जिले से आई सुशीला गड़कोटी को अंदर जाने की बात प्रशासन ने मान ली जहां उन्होंने मुख्यमंत्री के पास समस्या रखी। हालांकि कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला।
दिल्ली पहुंचा मामला
इन कर्मचारियों ने अब दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों से भी संपर्क साधना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में आज कर्मचारी राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के पास फरियाद लेकर पहुंचे जिन्होंने बहुत गहरी चिंता जताई। कर्मचारियों ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के सामने भी पीड़ा रखी। नैनीताल सांसद अजय भट्ट ने कर्मचारियों की बात मानकर मामले में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा की वर्तमान मे खुशियों की सवारी का टेंडर होना है। इन कर्मचारियों के वहां समायोजित किया जा सकता है।
राजनीति का शिकार हो गए कर्मचारी
दरअसल, कर्मचारियों का मामला बेवजह राजनीति का शिकार हो गया। कांग्रेस के तमाम नेताओं की ओर से कर्मचारियों को समर्थन देने के बाद एकाएक भाजपा ने अंदरखाने अपना स्टैंड बदल लिया। बता दें कि आंदोलन की शुरूआत में ही भाजपा के मेयर सुनील उनियाल गामा ने कर्मचारियों से धैर्य रखने को कहा था। लेकिन इस बीच, लगातार कांग्रेस के नेता आंदोलन स्थल पर पहुंचते रहे। नतीजा, भाजपा ने कर्मचारियों की समस्याओं से खुद की दूरी बना ली।