देहरादून के इंम्पलाॅयमेंट एक्सचेंज आॅफिस में एक दिन

0
1610

16 साल पुराने राज्य उत्तराखंड में युवाओं के लिए रोजगार का मुद्दा इस विधानसभा चुनाव में हर एक पार्टी के राजनितिक एजेंडें में सबसे प्राथमिक तौर पर रखा गया है। इस बार के विधानसभा चुनावों में भी ये तय है कि युवा वोटर जिस भी दल को चुनेंगे वो ही सत्जि्सेता की कुर्सी तक पहुंचने में कामयाब होगा। किसी भी राज्य में इंम्पलाॅयमेंट ऐक्सचेंज वहां के युवाओं के लिये एक बड़ी उम्मीद का केंद्र होता। उत्त््राखंड में बी ऐसा ही है लेकिन अगर देखा जाए तो राज्य में रोजगार की केवल बात ही की गई है। रोजगार के नाम पर ऐक्सचेंज का नया पता और नई बिल्डिंग ही तैयार हुई है ताकि युवाओं का रजिस्ट्रेशन हो सके इसके अलावा बेरोजगारी की तस्वीर में ज्यादा कुछ नहीं बदला है।

 प्रदेश की राजधानी देहरादून के इंम्पलायमेंट एक्सचेंज के आफिस में सुबह 10 बजे से रजिस्ट्रेशन के लिए युवाओं का तांता लग जाता है जिसमें दो खिड़कियां होते हुए भी एक खिड़की पर काम हो रहा और दूसरी खिड़की पर काम करने वाला कर्मचारी छुट्टी पर है और दिन बढ़ने के साथ लोगों की भीड़ भी बढ़ती जाती है। औसतन एक व्यक्ति फार्म भरने से लेकर ओरिजनल डिग्री की वेरिफिकेशन में लगभग 15 से 20 मिनट लेता है। लाइन में खड़े महिलाओं और पुरुषों में ज्यादा लोगों की उम्र 20 से 30 साल के बीच में होगी और कुछ लोग तो लाइन में आगे नंबर पाने के लिए अपना नाश्ता भी भूल कर सुबह 8 बजे से अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।   

हालांकि आफिस का समय सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक है जिसके बीच में एक घंटे का लंच ब्रेक भी होता है लेकिन इसकी सूचना के लिए न तो कोई बोर्ड है ना कोई बताने वाला है।ऋषिकेश की पूजा चौहान जो इस वर्ष पहली बार वोट देंगी,लाइन में मेरे आगे थी उनसे पूछने पर कि आने वाले चुनाव में उनको अपने विधायकों से क्या उम्मीदें है तो उन्होंने कहां कि फिलहाल मुझे वोट से ज्यादा इस लाइन की चिंता है पहले बस यह लाइन तो चले,वोट के बारे कुछ सोचा नहीं है। सुबह 11 बजे से इस लाइन में हूं पर यह लाइन आगें ही नहीं बढ़ रही है। वही लाइन में खड़े कपिल ने कहा कि लाइन तो कोई मुद्दा नहीं है उन्हें उम्मीद है कि अब जब मोदी जी की सरकार केंद्र में है तो उत्तराखंड मे भी उनकी सरकार ही होगी और मैं चाहता हूं कि मोदी जी कि सरकार बने ताकि वो बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए कुछ कदम उठा सकें।

जब आप ऐसी लाइन में खड़े हो जो आगे बढ़ने का नाम नहीं ले रही तो ऐसे में बहुत समय होता है कि आप राजनिति में हो रहे बदलाव पर लोगों से बातचीत कर सकें और वो भी तब जब चुनाव इतने नजदीक हो।ऐसे ही लाइन में अपनी बारी का इंतजार करने वाली पूनम जो 2 घंटे के सफर के बाद लाइन में खड़ी थी वो बताती हैं कि 2009 में एक्सचेंज आफिस में चीजें आसान और जल्दी हो जाती थी,अब तो आनलाईन साइट भी ज्यादा साथ नहीं देती 10 में से 8 बार तो काम भी नहीं करती और वो कहती है किसी भी राजनीतिक दल से कोई बदलाव की उम्मीद नही है।

घंटो लाइन में इंतजार के बाद जब मैं खिड़की पर पहुचने वाली ही थी तभी एक कर्मचारी आया और उसने कहा कि किसी तकनीकी खराबी के कारण आफिस का सिस्टम(कंम्प्यूटर) काम नहीं कर रहा और अगर आप चाहे तो आने वाले 15 दिन में वापस आए और रजिस्ट्रेशन करा ले या तो कुछ और समय रुके और इस तरह से मेरे अलावा बहुत से लोगों का पूरा दिन खराब हो गया।

एकस्चेंज आफिसर प्रवीन गोस्वामी ने मुझे यकीन दिलाया कि मेरा रजिस्ट्रेशन सिस्टम ठीक होते ही हो जाएगा लेकिन उन लोगों का क्या होगा जो किसी उम्मीद और महत्वाकांक्षा के साथ रोजगार पाने की होड़ में एक कदम आगे बढ़ने के लिए आए थे ? ये तो वक्त ही बताएगा कि आने वाली सरकार रोजगार के मौके देती है कि नहीं?? हम नहीं जानते- लेकिन सभी की तरह हमें भी इंतजार है कि आगे क्या होगा