दुनियाभर में तिब्बत समुदाय एकजुट होकर 10 मार्च को तिब्बत नेशनल अपराइजिंग डे मनाता है।तिब्बत के ल्हासा में वर्ष 1959 में 10 मार्च को हजारों तिब्बती लोगो ने एकसाथ गैरकानूनी पेशे के विरुद्ध खड़े होकर क्मयूनिस्ट चाईना से बगावत की थी। इस पेशे कि वजह से 1.2 मिलियन तिब्बती लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ था और लगभग 6000 पुरानी इमारतों को ध्वस्त कर दिया गया था। इतना ही नहीं तिब्बत समुदाय के जंगल उनका जीने और जरुरत की चीजों के साथ भी छेड़छाड़ की गई थी,और उनकी संस्कृति के साथ भी पक्षपात किया गया।80 हजार से भी ज्यादा तिब्बतीयों को भागना पड़ा और उसके बाद सन 1959 में तिब्बत सुमदाय के 14वे दलाई लामा भारत आए।
आज भी कम्मयूनिस्ट चाईना सरकार के अंर्तगत,अपनी जन्मभूमि में भी तिब्बत समुदाय को वही पक्षपात और घृणा झेलनी पड़ती है। अब तक 145 तिब्बती, ज्यादातर जवान आदमी और औरत,बहुत से कम उम्र के संन्यासी और संन्यासिनी इंतजार कर रहे कि उनके पवित्र महान 14वे दलाई लामा अपने तिब्बत में वापस आए और सही मायनों में उनको आजादी तिब्बत में आज़ादी दिलाएं।
इसी कड़ी में तिब्बत नेशनल अपराइजिंग डे पर 58वी सालगिरह मनाने के लिए दून तिब्बतन कम्यूनिटी ने एक शांतिपुर्ण पब्लिक कार्यक्रम का आयोजन तिब्बती बाजार,पंत रोड,देहरादून में सुबह 9:30 बजे से 12 बजे तक किया है।