राजाजी पार्क के गांव आज भी महरूम है मूलभूत सुविधाओं से

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     उत्तराखंड के राजा जी पार्क कि परधि में आने वाले कई गाँव वन अधिनियम कानून के चलते कई सालो से मुलभुत सुविधाओ से वंचित है। समय-समय पर ये ग्रामीण अपनी आवाज उठाते रहे लेकिन पार्क प्रशासन ने उनकी एक नहीं सुनी, अब राजा जी पार्क को टाईगर रिजर्व फारेस्ट बनाने के बाद विकास की अवधारणा ख़त्म होने का डर ग्रामीणो को सता रहा है। एनजीटी ने ग्रामीणों की परेशानी को ध्यान में रख कर उत्तराखंड सरकार को हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए जिस से यहाँ रह रहे ग्रामीणों में एक उम्मीद जगी है।

    यम्केस्वर विधान सभा के कोठार ग्राम सभा के कुनाऊ गोठ तोक, ग्रामसभा जोंक के धोतिया, गरुड चट्टी गावो के लोग दशकों  से अपने गाव में मूलभूत सुविधाओ कि मांग करते हुए पार्क प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के चौखट पर गुहार लगा कर थक गए है लेकिन सिर्फ वादों के सिवा उनको कुछ भी नहीं मिला, पार्क प्रसाशन के वन अधिनियम कानून के डर ने इन गावो को विकास से कोसो दूर कर दिया। पीढियों से यहाँ निवास कर रहे ग्रामीणों को चुनाव से पहले सरकार से ठोस वायदे किये ,लेकिन सरकारी वादे कभी जमीं पे नहीं उतरे ग्रमीण आज भी अपने भविष्य को लेकर चिंतित है।

    चंद्रमोहन सिंह नेगी, ग्रामीण का कहना है कि, ‘राजा जी नेशनल पार्क होने की वजह से हम सालो से अपने मुलभुत सुविधाओं के लिए लड़ाई लड़ रहे है, न सड़क है न बिजली और हम लोगो का गाँव काफी पहले से बसा हुआ है ऐसे में हमारे लिए विस्थापन की और जाना सम्भव नहीं है। उत्तराखंड निर्माण  के 17 साल  बाद भी यमकेश्वर ब्लाक के राजा जी नेशनल रिजर्व पार्क के ये गाव आज भी मूलभूत सुविधाव से वंचित है।’

    यहाँ के ग्रामीण राजा जी नेशनल पार्क के बनने के बाद वन कानून के दायरे में ऐसे फसे की आज तक विकास की कोई भी उमीद इनके काम नहीं आई , न सड़के है, न मूलभूत सुविधा है ऐसे में जीये  तो जीये  केसे ये सवाल अभी तक बना हुआ है। ऐसे में पार्क के अंतर्गत आने वाले  गाव के ग्रमीणों का गुस्सा वन क़ानून अधिनियम के विरुद्ध बना हुआ है। सालों से निवास कर रहे सत्य प्रकाश पयाल, ग्रामीण ने कहा कि, “हमने प्रदेश सरकार से कई बार अपनी बुनियादी सुविधाओं के लिए गुहार लगाई लेकिन सरकार का हमरी तरफ कोई फैसला नहीं रहा राजा जी पार्क होने की वजह से गाँव के बच्चों और महिलाओ को जंगली जानवरो के हमले भी कई बार हुए है एनजीटी ने इस मामले में गाँव वालो की समस्या को लेकर सरकार को हलफनामा के आदेश दिये है  पुनर्वास की निगरानी के लिए गाँव वालो ने समिति की मांग की है और  मामले की अगली सुनवाई 31 अगस्त को होगी।”

    राजा जी नेशनल पार्क की स्थापना के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 1983 में अधिसूचना जारी की थी जिसमे इसकी सीमा में आने वाले ग्रामो लेकर कोई बात नहीं की गयी थी। आज तक ये गांव अपने हक़ हकूक की लड़ाई के लिए सरकार से उम्मीद लगाए बैठे है लेकिन अभी तक यहाँ निवास कर रहे लोगो की समस्या न केंद्र और न ही राज्य सरकार कोई ठोस कदम उठा पायी है ।