आपातकालीन 108 एम्बुलेंस सेवा को मिलेगी ‘संजीवनी’

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लंबे वक्त से बुरे हालातों से गुजर रही 108 आपातकालीन सेवा को जल्द ही संजीवनी मिलने जा रही है। सेवा का संचालन करने वाली संस्था जल्द ही पुरानी एंबुलेंस को रिटायर कर नई हाईटेक 108 एंबुलेंस वाहनों को शामिल करेगी। संस्थान प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए 63 नई एंबुलेंस खरीदने जा रहा है।

स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन एनआरएचएम के तहत 108 एंबुलेंस सेवा शुरू की गई है। इसके संचालन के लिए 80 प्रतिशत राज्य सरकार व 20 प्रतिशत केंद्र सरकार खर्च देती है। योजना के तहत करीब 22 करोड़ रुपये का बजट सालाना तय है, लेकिन आपातकालीन स्थिति में मरीज को तुरंत सेवा प्रदान कर अस्पताल पहुंचाने वाली जीवनदायिनी 108 एंबुलेंस बीते काफी वक्त से बुरे दौर से गुजर रही थी। बजट की कमी के कारण कभी ईंधन तो कभी वाहनों के खस्ताहाल होने के कारण परेशानियां बढ़ती जा रही थी। अब आपात सेवा के अच्छे दिन आने को हैं। स्वास्थ्य विभाग ने 108 सेवा के लिए 63 नई एंबुलेंस खरीदने का फैसला किया है।
राज्य में साल 2008 में राज्य में कुल 90 एंबुलेंस थी, जो साल 2010 में बढ़कर 108 पहुंच गई। प्रदेश में आज 108 सेवा की तकरीबन 139 एंबुलेंस संचालित हैं लेकिन इनमें अधिकतर वाहन खस्ताहाली की कगार पर पहुंच गए हैं। दरअसल एक एंबुलेंस प्रतिदिन करीब 130 से 150 किलोमीटर का सफर तय करती है। इस दूरी के मुताबिक महीने में इन सभी एंबुलेंस में 5.5 से छह लाख के ईंधन की खपत होती है। ऐसे में वाहनों के लगातार चलने से उनके इंजन आदि पर भी काफी प्रभाव पड़ा। कुछ वाहनों की स्थिति तो बेहतद खराब हो चुकी थी। इसी को देखते हुए अब नई एंबुलेंस लेने का निर्णय लिया गया है ताकि मरीज को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी न झेलनी पड़े।
स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक डॉ. डीएस रावत ने बताया कि इस बार 108 सेवा के लिए सभी सुविधाओं से लैस वाहन नहीं खरीदे जाएंगे। इसके स्थान पर केवल एंबुलेंस के लिए वाहन खरीदकर उसे सुविधाओं से लैस किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पूरी तरह से तैयार एंबुलेंस काफी महंगी पड़ती है। जबकि बाहर से वाहन को सभी सुविधाओं से लैस करना आसान व कम खर्चीला है। 63 नए वाहन आने से आपातकालीन सेवा को काफी मजबूती मिलेगी।