ओएनजीसी-जीएसपीसी मुद्दे पर कांग्रेस का प्रदर्शन

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गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कारपोरेशन (जी.एस.पी.सी) के तीस हजार करोड़ के कर्ज को ओ.एन.जी.सी पर डालने के मुद्दे पर पर सवाल उठाते हुए ओएनजीसी के गेट पर प्रदेश महिला कांग्रेस ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों की अगुवाई वरिष्ठ उपाध्यक्ष आशा मनोरमा डोबरियाल शर्मा ने की। चरखा, तकली व सूत आंदोलन से शुरू हुए धरने में बोलते हुए उन्होंने कहा कि चरखे व सूत की ताकत ने अंग्रेज साम्राज्य को भारत छोड़ने पर मजबूर कर आजादी दिलायी है, हम इस सूत की ताकत से ओएनजीसी को भी बचाएंगे।उन्होने ने दस्तावेजों की एक बुकलेट जारी करी, जिसमे जीएसपीसी के गठन में मात्र 64 डालर से बनाई गई कम्पनी “जियों ग्लोबल रिसोर्स (जीजीआर)” को अपने हित दे दिए है। उन्होने कहा कि ओएनजीसी एक नवरत्न विश्व विख्यात निगम है जिसके गठन में राज्य का बहुत बड़ा योगदान रहा है,  राज्य में ओएनजीसी मुख्यालय देहरादून में होने के कारण राज्य की अर्थ व्यवस्था में भी ओएनजीसी का भारी योगदान रहा है परन्तु केन्द्र सरकार ओएनजीसी पर गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कारपोरेशन, गुजरात सरकार के उपक्रम को अधिग्रहण करने का दबाव बना रही है जिससे ओएनजीसी सीधे-सीधे लगभग तीस हजार करोड़ के घाटे में आ जाएगा, वर्तमान में जीएसपीसी ने 2011 से और 2015 के बीच में 19,716 करोड़ का  कर्जा ले रखा है जिस पर लगभग 1,804 करोड़ का ब्याज 2014-15 में दिया गया है, यह बात सीएजी (कैग) रिर्पोट में आई है। जीएसपीसी की वार्षिक रिर्पोट में भी इस उपक्रम को बहुत लाभकारी नही माना गया है। तकनीकि व आर्थिक रिर्पोटों के आधार पर भी ओएनजीसी को इससे कर्ज के भुगतान के साथ-साथ पेट्रोलियम की नई खोज व उत्पादन करने के लिए हजारों करोडों रुपया और खर्च करना पड़ेगा, जो लगभग तीस हजार करोड़ तक पहुॅच जाएगा।  ओ0एन0जी0सी0 द्वारा नियुक्त की गई अर्न्तराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा इस पर सवाल खड़ें किए गये है फिर भी ओएनजीसी पर गुजरात सरकार के उपक्रम को अधिग्रहण का दबाव बनाया गया है। जब कि ओएनजीसी के पास राज्य के एक मात्र महाराणा प्रताप स्पोर्टस स्टेडियम को पचास करोड़ की निर्माण के लिए अपनी सहमति देने के बावजूद कुछ नही दिया गया।

उन्होंने कहा कि हमारा सीधा-सीधा मानना है कि जीएसपीसी के घाटे को अधिग्रहण कर ओएनजीसी स्वंय घाटे की कम्पनी बन जाएगा। उन्होने कहा कि मोदी जी ने अपने चुनाव में पूरे देश की जनता को कहा कि था कि गुजरात का किसान अपने खेतों में पेट्रोल व डीजल की खेती करेगा अब क्यों गुजरात का यह उपक्रम तीस हजार करोड़ के घाटे में चला गया है। आशा मनोरमा डोबरियाल शर्मा ने भाजपा के राज्य के पाचों सांसदों से भी ओएनजीसी के बचाव में आगे आने की पहल करने का आग्रह किया है।