जब कैश नहीं तो ऐश कैसे?? नोटबंदी के एक महीने बाद भी हाल बेहाल

0
1114

प्रधानमंत्री मोदी को काले धन के खिलाफ जंग छेड़े गुरुवार को एक महीना हो गया। प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का ऐलान करने के साथ ही आम लोगों से 50 दिन का समय मांगा था औऱ कहा था कि इन 50 दिन अगर लोग सब्र रखेंगे तो आने वाले सालों साल परेशानी नहीं होगी। अब इसे प्रधानमंत्री के दावे में लोगों का भरोसा कहैं या लोगों के सामने और कोई विक्लप न होने की मजबूरी 8 नवंबर की रात से ही लोगों ने अपने पैसे निकालने और जमा कराने के लिये लंबी कतारों में लगना शुरू कर दिया। तमाम सरकारी आशवासन और तरकीबें लगाई गई हैं लोगों को राहत दिलाने को। लेकिन इस सब के बाद भी बैंकों और एटीएम मशीनों के बाहर से लाइनें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। राजधानी देहरादून का तो ये आलम है कि लोग कैश के लिए एक एटीएम से दूसरे एटीएम भटक रहे हैं। गलती से कहीं कैश मिल भी रहा तो लंबी लाइन होने की वजह से सबको कैश पूरा नहीं हो पा रहा। ऐसे में शहर में लंबी लाइनों का नज़ारा आम हो गया है। पिछले पाँच दिनों से लगभग 90 प्रतिशत एटीएम में कैश लोड नहीं किया गया है जिसकी वजह से कैश की ज्यादा मारा-मारी है।

घंटा-घर स्थित आईसीआईसीआई बैंक के एटीएम के बाहर का दृश्य देखने वाला था, मशीन में पैसे पड़े भी नहीं थे कि निकालने वालों ने लाइन लगा ली और जब बैंक कर्मचारी ने पैसे मशीन में डाल दिए उसके बाद वहां कि कतार और लंबी हो गई। आज एटीएम की कतार में युवा और बिना कैश के मुरझाए हुए चेहरे ज्यादा दिखे। पूछने पर आशीष ने बताया कि “पिछले कई रोज से वह एटीएम की लाईन में लग रहे हैं लेकिन उनका नंबर आने तक कैश खत्म हो जाता है। उन्होंने बताया कि 8 दिसंबर को उनका जन्मदिन है लेकिन जो हालात है शायद वो अपना जन्मदिन भी ठीक से नहीं मना पाऐंगे।” यह अकेले आशीष की परेशानी नहीं है आशीष जैसे हजारों लोग है जो कैशलैस होने की वजह से बहुत सी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। किसी को स्कूल की फीस देनी है,तो कोई घर से दूर यहां होस्टल में रह रहा उसे कमरे का किराया भरना है, किसी को गैस भरवाना है तो किसी का बटुआ खाली है।

सुभाष नगर रोड स्थित विजया एटीएम बैंक का हाल भी कुछ ऐसा ही था कैश के लिए लंबी लाईन और नंबर आने तक कैश खत्म, और अब तो लाईन में लगे लोग एक दूसरे को पहचानने लगे हैं। आज लाईन में लगी प्रेरणा ने बताया कि “कल उन्हें आईडीबीआई बैंक कि लाईन में सिया नाम की लड़की ने पीने का पानी दिया था और आज फिर वो दुबारा उन्हें लाईन में मिली।”  इस नोटबंदी से और कुछ हुआ हो या ना हुआ हो लेकिन लोग अपने घरों से निकल रहे हैं, एक दूसरे से मिल रहे और कैश के इंतजार में एक दूसरे से बातचीत कर रहे हैं। जहां लोगों के पास पहले समय भी नहीं होता था कि वो किसी से हाय बाय भी करे आज एटीएम की लाइन में लगे लोग एक दूसरे से गुफ्तगू करते नजर आ रहे हैं।

पिछले महीने भर में नोटबंदी को लेकर काफी असमंजस के हालात बने हुये हैं। इस मुद्दे पर राजनीति से लेकर सड़कों पर परेशान होते लोग नोटबंदी की तस्वीर बन गये हैं। सरकार ने लगातार नोटबंदी के दौरान खाते आॅपरेट करने की नियम व शर्तें बदली। विपक्ष ने इसे सरकार की अधूरी तैयारी कहा तो सरकार ने इसे काले घन के मालिकों को हर कदम पर राकने के लिये उठाये गये कदम बतया। इस दौरान सरकार ने लोगों से कहा कि शादियों के मौसम में लोग 2.5 लाख रुपये में शादियां निपटा लें, खातों से पैसे निकालने की सीमा समय समय पर बदली, नोटबंदी से जुड़े नियमों में भी कई बार फेरबदल किया गया।  सरकार का तर्क ये है कि नोटबंदी आज़ाद भारत के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा। इससे एक साथ कालेधन, आतंकवाद और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। दावे चाहे जो भी नोटबंदी से इन मसलों पर कितनी मदद मिली है ये तो आने वाला समय ही बतायेगा लेकिन इस बीच प्रधानमंत्री के जनता से मांगे परेशानियों के 50 दिनों में से 30 दिन गुज़र गये हैं और लोगों की मुश्किलें खत्म होती दिख नही रही हैं।