अपना अस्तित्व खोने की कगार पर पहुंच चुकी नैनीताल की मशहूर नैनी झील को बचाने के लिये समाज के हर तपके से कोशिशें की जा रहीं हैं। सोमवार को नैनी झील के आस पास रहने वाले बौद्ध भिक्षुओं ने “एंग्री” स्नेक गाॅड से अपनी आस्था के अनुसार नैनी झील को जीवंत करने के लिए प्रार्थना की। पिछले दो सालों से झील में पानी की लगातार कमी देखी जा रही है। बड़ी संख्या में तिब्बती शरणार्थी, जो बौद्ध धर्म का पालन करते हैं, जिले में रहते हैं। भिक्षुओं ने कहा कि उन्होंने भगवान से झील को ऐसी बुरी हालत से बचाने के लिये प्रार्थना की है।
उनके मुताबिक हम सभी को क्षमा करने के लिए नाग भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं। इस पूजा के लिये चार भिक्षु आये जिन्होने झील के पास पूजा अर्चना की। भिक्षुओं ने सांप भगवान की मूर्ति आटा, दूध, दही,मक्खन, चीनी, गुड़ और शहद से बनाई। पूजा के बाद, मूर्ति को झील में विसर्जित कर दिया गया। 14 जून को भी तिब्बती समुदाय के लोगों ने झील को बचाने के लिये पूजा अर्चना की थी।
नैनी झील के स्तर में कमी के लिये जानकारों ने सरकार से इस इलाके को ईको सेंसटिव ज़ोन घोषित करने को कहा है। साथ ही झील के आस पास के इलाके में किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगाने के लिये भी मांग की गई है। 4.7 वर्ग किमी में फैली इस झील के उपर पहले कभी ऐसा खतरा नहीं मंडराया है। झील के प्राकृतिक रिचार्ज स्रोतों पर अतिक्रमण और पानी की बढ़ती मांग के साथ अनियमित बारिश को झील के वर्तमान स्थिति के लिए दोषी ठहराया गया है। गौरतलब है कि स्थानीय और पर्यटकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए करीब 15 मिलियन लीटर पानी झील से हर दिन निकाला जाता है। इससे झील पर दबाव बढ़ता जा रहा है।
वहीं सरकार ने झील को बचाने के लिये इसके रखरखाव का काम लोक निर्माण विभाग से लेकर सिंचाई विभाग को दे दिया है। साथ साथ मुख्यमंत्री ने नैनी झील ते संरक्षण के लिये 3 करोड़ रुपये का अनुदान भी दिया है।