उत्तराखंड के इस गांव में कोई प्रधान बनने को तैयार नहीं

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आमतौर पर गांवों में प्रधान बनने के लिए मारामारी रहती है। प्रत्याशी चुनाव जीतने के लिए धनबल के साथ हर तरह के हथकंडे अपनाते हैं, लेकिन उत्तराखंड की एक ग्राम पंचायत ऐसी भी हैं, जहां कोई प्रधान बनने को तैयार ही नहीं।

टिहरी जिले का घोघस गांव के प्रधान की एक साल पहले सड़क हादसे में मौत हो गई थी। तब से यह सीट खाली है। प्रशासन उप चुनाव के लिए दो बार अधिसूचना जारी कर चुका है, लेकिन किसी ने भी नामांकन पत्र नहीं भरा। जाखणीधार ब्लॉक की घोघस ग्राम पंचायत में 52 सामान्य जाति, 34 ओबीसी तथा 8 परिवार अनुसूचित जाति के हैं। इस गांव में ग्राम प्रधान की सीट इस समय ओबीसी उम्मीदवार के लिए आरक्षित है।

वर्ष 2014 में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इस सीट पर गांव के मोहम्मद इब्राहिम का निर्विरोध चुनाव हुआ था, लेकिन एक साल पहले दिल्ली जाते समय मेरठ में उनकी सड़क हादसे में मौत हो गई थी। तब से यह सीट खाली चल रही है। प्रशासन यहां उपचुनाव कराने के लिए दो बार अधिसूचना जारी कर चुका है, लेकिन किसी ने भी नामांकन नहीं कराया। प्रधान के लिए लोगों का इच्छुक न होना चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा यह भी है कि प्रधान की सड़क हादसे में मौत के बाद लोग सहमे हुए हैं।

ग्राम विकास अधिकारी प्रकाश चंद रतूड़ी ने बताया कि घोघस गांव में उप चुनाव के लिए दो बार अधिसूचना जारी हो चुकी है। इस बार भी 13 जून को चुनाव होना था। चुनाव की अधिसूचना पंचायत भवन पर चस्पा भी गई थी, ताकि लोग नामांकन कराए, लेकिन किसी ने भी नामांकन नहीं कराया।

उप प्रधान नंद किशोर डबराल का कहना है कि हमारे गांव में प्रधान की सीट ओबीसी आरक्षित है। ओबीसी के अधिकांश परिवार बाहर रहते हैं। करीब बीस परिवार गांव में रहते हैं, लेकिन उनमें कोई प्रधान बनने के लिए इच्छुक नहीं है। प्रधान का कार्यभार मैं खुद संभाल रहा हूं।